Israel-Gaza war: गाजा में इजरायल के नए अभियान का पूरी दुनिया में विरोध हो रहा है. इसके बाद भी अमेरिका इजरायल की मदद करने से पीछे नहीं हट रहा है. ऐसे में ही अब ट्रंप प्रशासन ने इज़रायल के साथ 6 अरब डॉलर के हथियार सौदे करने का फैसला किया है, जिसके लिए उन्होंने कांग्रेस से मंजूरी भी मांगी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के साथ किए जाने वाले ट्रंप के इस हथियार सौदे में 3.8 अरब डॉलर की कीमत के 30 एएच-64 अपाचे हेलीकॉप्टर और 1.9 अरब डॉलर के 3,250 पैदल सेना के हमले के वाहन शामिल हैं. हालांकि इस सौदे की समीक्षा की जा रही है, लेकिन हथियारों की आपूर्ति अगले दो-तीन वर्षो तक होने की संभावना है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विरोध के बाद भी अमेरिका कर रहा इजरायल की मदद
अमेरिका प्रशासन ऐसे कदम ऐसे समय में उठाया है जब गाजा में इजरायल द्वारा किए गए भीषण नरसंहार में 65 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिसका अंतरराष्ट्रीय समुदाय विरोध कर रहा है. लेकिन अमेरिका सैन्य और कूटनीतिक दोनों ही रूपों में इजरायल को बिना शर्त समर्थन दे रहा है.
गाजा युद्धविराम प्रस्ताव पर अमेरिका का वीटो
बता दें कि 18 सितंबर को गाजा युद्ध पर बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में तत्काल युद्धविराम के आह्वान वाले एक मसौदे को अमेरिका ने अपना वीटो का इस्तेमाल कर रोक दिया. इतना ही नहीं अमेरिका ने इस प्रस्ताव को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि यह हमास की निंदा नहीं करता और इजरायल के तथाकथित ‘आत्मरक्षा के अधिकार’ को मान्यता नहीं देता हैं.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीन पर युद्ध या इजरायल का विरोध करने वाले प्रस्तावों को अपने वीटो कर बाधित किया हो. वो लगातार छठीं बार सुरक्षा परिषद में इजरायली युद्ध पर वीटो लगाया है.
भारत का क्या रुख?
वहीं, भारत इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर अपना इतिहासिक रुख कायम रखे हुए है. 18 सितंबर को भी भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट किया है. दरअसल, भारत सरकार का मानना है कि मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए दो राष्ट्र समाधान जरूरी है, जिसके तहत फिलिस्तीन को इजरायल के साथ एक अलग राष्ट्र का दर्जा मिले.
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