Lucknow: राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने आज हिंदी पखवाड़ा समारोह के अंतर्गत भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान मैं वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं के विशाल समागम में आयोजित हिंदी सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि भाषा की विविधता भारत की सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर है। वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा भाषाओं के विकास के लिए किए जा रहे प्रयास लोकतंत्र को गहराई तक पहुचाने की कोशिश है।तकनीक के इस दौर में भाषाओं को क्षेत्रीय सीमाओं से निकालकर पूरे देश की साझा धरोहर बनाने के प्रयास हो रहे हैं। आजादी के नायकों ने जिस भारत की कल्पना की थी वर्तमान सरकार के समय में देश उस दिशा में आगे बढ रहा है। अमृत काल असल में देश की आत्मा को जागृत करने का समय है।
सांसद ने कहा कि देश में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया क्योंकि उसने अनेक भाषाओं के बीच में पुल की तरह कार्य किया है। हिन्दी जनभावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा रही है। हिन्दी का विकास भारत की अन्य भाषाओं के सहयोग और समन्वय के साथ हुआ है। ये देश की एकता को मजबूत करती है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश में हिन्दी को राज भाषा का दर्जा देने के साथ ही अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी संरक्षण की संविधान में व्यवस्था की गई है। आज हिन्दी भाषा में क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दो का भी समावेश हो रहा है जिसके कारण यह राष्ट्र भाषा के रूप में विकसित हो रही है। भारत में 22 भाषाओं को संविधान की आठवी अनुसूची में मान्यता प्रदान की गई है।
डा शर्मा ने कहा कि हिन्दी का दक्षिण भारत से भी गहरा नाता रहा है। विशेषज्ञों की माने तो आन्ध्र प्रदेश आधुनिक हिन्दी की जन्मस्थली है। केरल में हिन्दी मठो , मंदिरों एवं जनता के बीच में संवाद का जरिया बनी थी। महात्मा गांधी और सरदार पटेल की जमीन गुजरात ने भी हिन्दी को अपनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी है। देश की हर भाषा और हिन्दी के बीच का रिश्ता लगातार गहरा होता गया है। आज यह पूरे देश की भाषा है तथा देश की एकता के लिए इसकी भूमिका काफी अहम है। आतंकवाद , सम्प्रदायवाद और पृथकतावाद की चुनौती से निपटने के लिए सांस्कृतिक विरासत के भाषा एवं साहित्य का सहारा महत्वपूर्ण है जो जोडने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि देश की एकता को मजबूत करते हुए हिन्दी आज देश की सीमाओं के बाहर विदेशी जमीन पर भी पहुच चुकी है। नेपाल यूके मारीशस जैसे देशों में तो हिन्दी का शिक्षण और शोध भी हो रहा है। इससे पता चलता है कि अब यह दुनियाभर में संवाद की भाषा बन गई है। भारत आजादी के 100 साल पूरे करने की ओर अग्रसर है। ये समय केवल पिछली उपलब्धियों को याद करने का नहीं बल्कि भविष्य के निर्माण का समय है। इस समय में भाषाओं का विकास भी आवश्यक है। आज सरकार भाषाओं की गरिमा को फिर प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति से लेकर डिजिटल संसाधनों के विकास तक में भाषा को लेकर जागरूकता आई है। हिन्दी इस दौर में अन्य भाषाओं को साथ लेकर ही आगे बढ रही है।