Varanasi: मोदी-योगी सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना युवाओं को उद्यमी बना रही है। सरकार छोटे खाद्य प्रसंस्करण व्यवसायों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करके अपनी इकाइयों को स्थापित करने तथा आधुनिकीकरण करने में मदद कर रही। वाराणसी में 476 युवाओं ने सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर उद्यमी बन रहे है। पीएमएफएमई योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान की राह प्रशस्त कर रही है। व्यक्तिगत इकाई को 35% तक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी या अधिकतम 10 लाख तक मदद दे रही है सरकार।
वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक,ज्योति कुमार सिंह कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत वाराणसी में में 1432 इकाइयों को ऋण प्रदान करने का लक्ष्य था, जिसके सापेक्ष 1166 लोगों ने ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण किया। आवेदन के सापेक्ष पोर्टल पर 722 लोगो ने डीपीआर सब्मिट किया है। इनमे से 476 इकाइयों को ऋण मिल चुका है, जबकि 31 इकाइयों का ऋण प्रक्रिया में है। जिनका नियमानुसार जल्दी ही ऋण स्वीकृत होगा। ये युवा खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपनी नई पहचान बना रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं। सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सहायता ने इन युवाओं को न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि रोजगार सृजन के नए अवसर भी पैदा किए हैं।
डबल इंजन सरकार की पीएमएफएमई योजना का लाभ लेते हुए बड़ागॉव की पोस्ट ग्रेजुएट पूजा सिंह ने बेकरी उद्योग की शुरुआत की उन्होंने बताया कि मेरे मुश्किल समय में सरकार मेरे साथ खड़ी हुई और मुझे इस योजना से आर्थिक मदद मिला। जिससे हमें आर्थिक मजबूती मिली और लोगो को रोजगार देकर उनकी भी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर रही हूँ।
रोहित मौर्या बताते है कि वे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से पारा स्नातक है। और शुरू से ही व्यवसाय करना चाहते थे। सरकार की इस योजना ने उनको उद्यमी बनने में बड़ा सहयोग किया है। इस योजना का लाभ उठा कर कोई भी युवा अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है।
बड़ागॉव निवासी किशन सोनकर बनारस में केला का पाउडर बनाने प्लांट लगाने के लिए इस योजना के अंतर्गत ऋण लिया है। इस तरह का वाराणसी में पहला प्लांट होगा जो केले से पाउडर बनाएगा। किशन बताते है कि सरकार ने मुसीबत में साथ दिया जिससे उद्यमी बनने की सभी बाधाए दूर हुई। सरकार युवाओं का व्यवसाय करने का सपना साकार कर रही है।