केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में सीमा पार नदियों से होने वाली अचानक बाढ़ और नदी कटाव की समस्याओं के समाधान हेतु भूटान सरकार के साथ निरंतर संवाद कर रही है. इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच संयुक्त विशेषज्ञ समूह (JEG), संयुक्त तकनीकी टीम (JTT) और संयुक्त विशेषज्ञ टीम (JET) जैसी संस्थाएं सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के अधिकारी भी सहभागी हैं.
घाटों व श्मशान परियोजनाओं को मिली मंजूरी
हाल ही में भूटान के पारो में आयोजित 11वीं जेजीई बैठक में भूटान से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने वाली आठ नई नदियों-हाशिमाराझोरा, जोगीखोला, रोकिया, धवलाझोरा, गबुर बसरा, गबुर ज्योति, पाना और रैदक पर विचार किया गया है. इसके साथ ही भारत की ओर सीमा पार नदियों पर बाढ़ पूर्वानुमान में सुधार के लिए भूटान में जल विज्ञान अवलोकन नेटवर्क को मजबूत करने का काम भी चल रहा है.
केंद्र सरकार ने बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं के अंतर्गत अब तक पश्चिम बंगाल सरकार को 1,290 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. वर्तमान में ऐसी किसी नई परियोजना का कोई वित्तीय प्रस्ताव केंद्र के समक्ष लंबित नहीं है. वहीं, गंगा कार्य योजना और नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राज्य में कुल 5,648.52 करोड़ रुपये की लागत से 62 परियोजनाएं और विभिन्न हस्तक्षेप शुरू किए गए हैं. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के अंतर्गत पश्चिम बंगाल में 31 सीवरेज अवसंरचना परियोजनाओं तथा 30 घाट और श्मशान विकास परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई है.
एसटीपी क्षमता का निर्माण का लक्ष्य
सीवरेज अवसंरचना के लिए 4,605.72 करोड़ रुपए की 31 परियोजनाओं का लक्ष्य 767.27 एमएलडी की अतिरिक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता का निर्माण और 981 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाना है. इन कार्यों के लिए एनएमसीजी ने 1,942.86 करोड़ रुपए जारी किए हैं. इसके अलावा, कोलकाता में टॉली नाला पुनरुद्धार को भी मंजूरी मिली है, जो नदी पुनरुद्धार की सबसे बड़ी एकल परियोजना है, जिसकी अनुमानित लागत 817.30 करोड़ रुपए है.
सीवरेज परियोजनाओं के लिए अग्रिम निधि जारी
घाट और श्मशान परियोजनाओं के लिए 225.50 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 196.17 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं. एनएमसीजी ने स्पष्ट किया है कि सीवरेज परियोजनाओं के लिए अग्रिम निधि जारी करने की व्यवस्था अपनाई जाती है, इसलिए 477 करोड़ रुपए बकाया होने का कोई दावा वर्तमान निधि स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शाता है.
नमामि गंगे मिशन-II के तहत पश्चिम बंगाल के 16 शहरों की पहचान की गई थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा अब तक केवल 4 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) ही प्रस्तुत की गई हैं. इन रिपोर्टों में देरी का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण से जुड़ी समस्याएं बताई गई हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के समक्ष कोई भी डीपीआर अनुमोदन हेतु लंबित नहीं है.
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