Senegal: पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल में जानवरों से इंसानों में फैलने वाली खतरनाक महामारी ने पांव पसार लिया है. देश के उत्तरी हिस्सों में रिफ्ट वैली फीवर (Rift Valley Fever- RVF) से अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि, 100 से अधिक संक्रमित पाए गए हैं. सेनेगल के स्वास्थ्य मंत्रालय के निगरानी प्रमुख डॉ. बोली डियोप ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में मरीज पहली बार दर्ज किए गए हैं.
1931 में केन्या की रिफ्ट वैली में हुई थी इस वायरस की पहचान
रिफ्ट वैली फीवर एक जूनोटिक (Zoonotic) बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है. यह मुख्य रूप से भेड़, बकरी और गाय जैसे पालतू पशुओं को प्रभावित करती है. इस वायरस की पहचान पहली बार 1931 में केन्या की रिफ्ट वैली में हुई थी. तब से यह अफ्रीका और कभी-कभी मध्य-पूर्व तक भी फैल चुकी है. सावधानी और रोकथाम ही इस बीमारी से बचने का उपाय है.
भारी बारिश या बाढ़ के बाद होता है RVF का फैलाव
RVF का फैलाव अक्सर भारी बारिश या बाढ़ के बाद होता है, क्योंकि इससे मच्छरों की संख्या तेज़ी से बढ़ती है. एडीज (Aedes) और क्यूलेक्स (Culex) प्रजाति के मच्छर इस वायरस के मुख्य वाहक हैं. इंसानों में यह संक्रमण संक्रमित पशुओं के खून या अंगों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, खासकर जब बीमार जानवर को काटा जाता है या उसका मांस तैयार किया जाता है. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलती है.
ज्यादातर मामलों में यह बीमारी हल्की होती है जिसके लक्षण फ्लू या वायरल बुखार जैसे होते हैं.
-तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों की रोशनी धुंधली पड़ना
-जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, दिमाग में सूजन
-उल्टी या मतली, हैमरेजिक फीवर, आंतरिक रक्तस्राव, लिवर को नुकसान और 50% तक मौत की संभावना. आमतौर पर मरीज एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं. गंभीर मामलों में मृत्यु अक्सर तीन से छह दिनों के भीतर हो जाती है.
जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक बारिश से बढ रहा है इसका प्रकोप
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक बारिश से इसका प्रकोप तेजी से बढ रहा है. सेनेगल के उत्तरी हिस्सों में असामान्य बारिश और बाढ़ आई जिससे मच्छरों के प्रजनन में तेज़ी आई और वायरस तेजी से फैला. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अफ्रीकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (Africa CDC) इस प्रकोप पर नज़र रखे हुए हैं और स्थानीय प्रशासन को तकनीकी सहायता दे रहे हैं.
संक्रमित या बीमार जानवरों के संपर्क में आने से बचें
इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी और रोकथाम सबसे प्रभावी है. ग्रामीण क्षेत्रों और पशुपालन करने वाले लोगों को मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए और पानी का ठहराव रोकना चाहिए. संक्रमित या बीमार जानवरों के संपर्क से बचना चाहिए. बीमार जानवरों को काटते समय या उनका मांस तैयार करते समय दस्ताने पहनना और सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है.
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