Indian Airforce Rafale F4 deal: आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका इंडियन एयरफोर्स काफी लंबे समय से इंतजार कर रहा था. दरअसल, भारतीय नौसेना अपनी स्क्वाड्रन संख्या बढ़ाना चाहता है, जिसके लिए वो 114 लड़ाकू विमानों की खरीद का महत्वाकांक्षी MRFA प्रोजेक्ट अब एक अहम चरण में पहुंच चुका है.
सूत्रों के मुताबिक, भारत इस टेंडर में फ्रांस के दसॉल्ट राफेल के सबसे एडवांस वर्जन F4 स्टैंडर्ड पर अपनी रुचि और सहमति लगभग पक्की कर चुका है. वहीं, साल 2026 में इस सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि भारतीय वायुसेना अपनी स्क्वाड्रन ताकत की कमी को जल्द से जल्द दूर करना चाहती है.
राफेल F4 वेरिएंट की खासियत
बता दें कि राफेल F4 मौजूदा राफेल विमानों का एडवांस और डिजिटल रूप है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित कई नई और अत्याधुनिक फीचर्स हैं. जो विमानों को आपस में और ज़मीनी कमांड सेंटरों के साथ बेहतर ढंग से जोड़ने में मदद करती हैं. इसके अलावा, यह वेरिएंट नई पीढ़ी के हथियार और सेंसर ले जाने में सक्षम होगा, जिससे उसकी मारक क्षमता और सटीक वार करने की क्षमता बढ़ेगी. इतना ही नहीं, F4 को रखरखाव के मामले में भी कम समय लेने वाला और अधिक कुशल बनाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे विमान ज्यादा समय तक ऑपरेशनल रह सकेगा.
क्यों पड़ी MRFA टेंडर की जरूरत?
दरअसल, IAF को अपनी स्क्वाड्रन ताकत को बनाए रखने के लिए इन 114 मल्टी-रोल विमानों की तत्काल जरूरत है. IAF की स्वीकृत स्क्वाड्रन ताकत 42 है, लेकिन मौजूदा समय में यह संख्या उससे काफी कम है. जिसे करीब 29 बताया जा रहा है. ऐसे में MRFA इस अंतर को भरने के लिए बेहद जरूरी है. बता दें कि IAF के पास पहले से ही राफेल का अनुभव है. राफेल F4 को चुनना पायलटों की ट्रेनिंग और रखरखाव के बुनियादी ढांचे के लिए एक आसान विकल्प होगा, क्योंकि इसमें मौजूदा ज्ञान का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
मेक इन इंडिया के तहत होगी खरीदारी
यह डील केवल विमानों की खरीद नहीं है, बल्कि भारत के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा फैसला है. MRFA सौदे में यह शर्त है कि अधिकांश विमानों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा. राफेल F4 को चुनने पर फ्रांस से बड़े पैमाने पर तकनीकी हस्तांतरण (ToT) की उम्मीद है. इसके अलावा यह सौदा दोनों देशों के बीच पहले से मजबूत रणनीतिक भागीदारी को और गहरा करेगा, जो कि भारत के लिए एक विश्वसनीय रक्षा भागीदार है.
बता दें कि साल 2026 तक कॉन्ट्रैक्ट साइन करने की संभावना का मतलब है कि भारत ने अब अपनी हवाई ताकत बढ़ाने के लिए समय-सीमा तय कर ली है और वह राफेल F4 को एक सबसे मजबूत विकल्प के रूप में देख रहा है.
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