वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में भारत का राजकोषीय घाटा 5.73 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया, जो पूरे वर्ष के बजटीय लक्ष्य का 36.5% है. शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राजकोषीय घाटा फिलहाल नियंत्रण में है, जो अर्थव्यवस्था में स्थिर और संतुलित वृद्धि की दिशा में सकारात्मक संकेत देता है. डेटा के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर की अवधि में सरकार की कुल प्राप्तियां 17.30 लाख करोड़ रुपये रहीं, जबकि कुल व्यय 23.03 लाख करोड़ रुपये रहा। यह क्रमशः 2025-26 के बजट अनुमान का 49.5 प्रतिशत और 45.5 प्रतिशत है.
16.95 लाख करोड़ रुपए रही हैं राजस्व प्राप्तियां
राजस्व प्राप्तियां 16.95 लाख करोड़ रुपए रही हैं, जिनमें से कर राजस्व 12.29 लाख करोड़ रुपए और गैर-कर राजस्व 4.66 लाख करोड़ रुपए रहा. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपए का लाभांश स्वीकृत किए जाने से गैर-कर राजस्व में वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के ट्रांसफर 2.11 लाख करोड़ रुपए से अधिक है. इससे केंद्र सरकार को अपने राजकोषीय घाटे को और कम करने में मदद मिलेगी. कुल सरकारी खर्च अप्रैल-सितंबर अवधि में 23 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 21.1 लाख करोड़ रुपए था.
यह आंकड़े इस बात की ओर संकेत करते हैं कि सरकार राजमार्गों, बंदरगाहों और रेलवे जैसे प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अपने निवेश को लगातार बढ़ा रही है. इन बड़े प्रोजेक्ट्स पर बढ़ता सरकारी खर्च न केवल घरेलू मांग को प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि भू-राजनीतिक तनावों और अमेरिकी टैरिफ अस्थिरता से उत्पन्न वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की विकास दर को मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभा रहा है.
FY25 में राजकोषीय घाटा लक्ष्य 4.9%
केंद्र सरकार ने FY25 के बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 4.9% पर रखा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 5.6% था. घटता हुआ राजकोषीय घाटा अर्थव्यवस्था की स्थिरता और वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है. इसके साथ ही, इससे सरकार की उधारी पर निर्भरता कम होती है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में अधिक तरलता बनी रहती है जो कॉर्पोरेट और उपभोक्ताओं को ऋण देने की क्षमता बढ़ाकर आर्थिक विकास को और गति देती है.

