China Space Science : अपने कारनामों से एक बार फिर चीन ने दुनिया को चौंका दिया है. कुछ ही समय पहले चीन के शेनझोउ-21 अंतरिक्ष मिशन से लौटाए गए जीव विज्ञान नमूने बीजिंग के स्पेस एप्लिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर पहुंचे. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, इस बार जो बैच धरती पर लौटकर आया है, उसे बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इसमें चार चूहे, ज़ेब्रा फिश, प्लैनेरियन, हॉर्नवॉर्ट, ब्रेन ऑर्गेनॉइड और सूक्ष्मजीव स्ट्रेप्टोमाइस शामिल हैं. बात करें इसके वजन की तो कुल वजन लगभग 46.67 किलोग्राम है और ये 26 शोध योजनाओं से संबंधित हैं.
बता दें कि चूहे जैसे जीवित नमूनों को केंद्र में पहुंचते ही तुरंत संभाला गया. इसके साथ ही वहां वैज्ञानिक उनके व्यवहार, शारीरिक बदलावों और जैविक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन शुरू कर चुके हैं. ऐसे में अंतरिक्ष में रहने से शरीर किस तरह बदलता है और किस प्रकार इम्यून सिस्टम कैसे रिएक्शन देती है और न्यूरो सिस्टम में क्या अंतर आता है. इन सभी की गहराई से जांच की जाएगी.
मिशनों की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ग्रह
जानकारी देते हुए बता दें कि अगले चरण में इन पर सेल लेवल पर स्टडी होगी, इसके साथ ही ट्रांसक्रिप्टोमिक और प्रोटिओमिक विश्लेषण होंगे. यह शोध भविष्य में मानव अंतरिक्ष यात्राओं और लंबी अवधि के चंद्र या ग्रह मिशनों की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
बीजिंग में शोधकर्ता गहराई से करेंगे अध्ययन
प्राप्त जानकारी के अनुसार जीव विज्ञान के साथ कई महत्वपूर्ण सामग्री विज्ञान नमूने भी धरती पर वापस लाए गए. इनमें टंगस्टन–हाफ़नियम मिश्रधातु, नई चुंबकीय सामग्री, रिलैक्सर फेरोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल और विशेष दहन नमूने शामिल हैं. इस दौरान अंतरिक्ष में मौजूद माइक्रोग्रेविटी वातावरण में किसी भी पदार्थ का व्यवहार धरती से बिल्कुल अलग होता है. बता दें कि इस बात का बीजिंग में शोधकर्ता गहराई से अध्ययन करेंगे और इन सामग्रियों में अंतरिक्ष के कारण क्या परिवर्तन आए. इन परिणामों से भविष्य में ऐसी नई तकनीकों का रास्ता खुलेगा, जिनका उपयोग चंद्र आधार के निर्माण, अधिक मजबूत सौर पैनलों और सुरक्षित अंतरिक्ष संचार प्रणालियों में किया जा सकेगा.
भविष्य के अंतरिक्ष यानों में बढ़ेगी सुरक्षा
रिपोर्ट के मुताबिक, शेनझोउ-21 से वापस आए फायर साइंस नमूने भी वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. अंतरिक्ष स्टेशनों में आग का व्यवहार पृथ्वी से अलग होता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के अभाव में ताप, ऑक्सीजन और गैसों का प्रवाह पूरी तरह बदल जाता है. इतना ही नही बल्कि लौटाए गए नमूनों के आधार पर विशेषज्ञों की पूरी कोशिश होगी कि वे पता लगा सके कि ईंधन कैसे जलता है, लौ किस आकार में बनती है और तापमान किस तरह घूमता है.
जानकारी देते हुए बता दें कि इस तरह के अध्ययन से भविष्य के अंतरिक्ष यानों में सुरक्षा बढ़ेगी, ऊर्जा प्रणालियां अधिक प्रभावी बनेंगी और लंबी अवधि वाले स्पेस मिशनों में आग से जुड़ी संभावित समस्याओं से निपटना आसान होगा.
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