श्री सत्य साईं बाबा के जन्म शताब्दी समारोह में पहुंचे तेंदुलकर, सुनाया विश्व कप 2011 से जुड़ा किस्सा

Divya Rai
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Sathya Sai Baba Centenary Celebrations: दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर बुधवार को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं बाबा के जन्म शताब्दी समारोह में पहुंचे, जहां उन्होंने श्री सत्य साईं बाबा से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया. तेंदुलकर ने बताया कि बाबा अक्सर उनके मन की बात को जान लेते थे, जो उनके लिए अविश्वसनीय होता था. इस दौरान तेंदुलकर ने विश्व कप 2011 से जुड़ा एक किस्सा भी साझा किया.

इस जगह ने हमें बेहतर इंसान बनाया

सचिन तेंदुलकर ने समारोह में कहा, (Sathya Sai Baba Centenary Celebrations) इस जगह ने हम लाखों लोगों को बहुत सुकून, उद्देश्य और दिशा दी है. जब मैं यहां खड़ा होता हूं, तो मुझे याद आता है कि बाबा ने हमारे जीवन में कितने योगदान दिए और हमें बेहतर इंसान बनाया.

हेयरस्टाइल श्री Sathya Sai Baba की तरह था

सचिन तेंदुलकर ने बताया कि बचपन में उनका हेयरस्टाइल श्री सत्य साईं बाबा की तरह ही था. उन्होंने कहा, “मुझे याद है, मैं सिर्फ 5 साल का था और मैं जहां भी जाता था, मेरे स्कूल और मेरे आस-पास के लोग मुझे “वो जो छोटा बच्चा है ना, जिसके बाल सत्य साईं बाबा जैसे हैं” कहकर बुलाते थे. ऐसा सिर्फ इसलिए था, क्योंकि मैंने 5 साल की उम्र तक बाल नहीं कटवाए थे. मेरे बाल भी वैसे ही लंबे थे. मैं उस समय समाज के लिए बाबा के योगदान को समझने में बहुत छोटा था. मैं उनसे पहली बार 90 के दशक के मध्य में व्हाइटफील्ड में मिला था और तब से मुझे उनसे कई बार मिलने का सौभाग्य मिला है.”

बिना पूछे ही बाबा सवाल के जवाब दे दिए

उन्होंने कहा, “बाबा में यह क्षमता थी कि चाहे आप कहीं भी हों वे आपके मन में, आपके साथ रह सकते थे. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मेरे मन में कई सवाल चल रहे थे. बिना पूछे ही, बाबा ने उन सवालों के जवाब दे दिए. यह मेरे लिए एक अविश्वसनीय अनुभव था. क्योंकि मैं सोच रहा था, उन्हें कैसे पता चला कि मेरे मन में क्या चल रहा था? उन्होंने पहले ही जवाब दे दिया था, मुझे आशीर्वाद दिया था, मुझे दिशा दी थी.”

आत्मविश्वास को बढ़ाने में की थी मदद

सचिन तेंदुलकर ने बताया कि साल विश्व कप 2011 से पहले श्री सत्य साईं बाबा ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद की थी. उन्होंने कहा, “2011 से पहले मैं कई विश्व कप खेल चुका था. मुझे पता था कि यह मेरा आखिरी विश्व कप हो सकता है. हम बेंगलुरु में एक कैंप में थे. इसी बीच मुझे एक फोन कॉल आया और बताया गया कि बाबा ने मेरे लिए एक किताब भेजी है. यह सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई. मैं जानता था कि यह विश्व कप हमारे लिए बेहद खास होगा. इस किताब ने मुझे आत्मविश्वास और आत्मबल दिया.”

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