बांग्लादेश में उठी ‘ईशनिंदा’ के आरोपों से जुड़ी हिंसा को रोकने की मांग  

Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh: बांग्‍लादेश में सैकड़ों नागरिकों ने कथित ‘ईशनिंदा’ की आड़ में देशभर हो रहे बड़े पैमाने पर हमलों, मुकदमों, गिरफ्तारियों और भीड़ के हमलों को तुरंत रोकने की मांग की है. इसकी जानकारी देश के लोकल मीडिया ने दी है.

बता दें कि यह मामला धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में बाउल सिंगर अबुल सरकार की गिरफ्तारी और उसके बाद मानिकगंज जिले में उनके फॉलोअर्स पर हुए हमले को लेकर बढ़ते गुस्से और विरोध के बीच हुआ है.

देश में सिर उठाने लगी है धार्मिक कट्टरता

258 नागरिकों के संयुक्त बयान के मुताबिक, पिछले साल जुलाई के प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरता ‘सिर उठाने लगी है’, जिसमें एक खास तबका खुद को इस्लाम का ‘एकमात्र एजेंट’ बताता दिख रहा है, जबकि उसने देश भर में कार्रवाई शुरू कर दी है.

देश में बंगाली डेली प्रोथोम आलो ने साइन करने वालों के हवाले से कहा कि “200 से अधिक मजारों को गिराना, अनगिनत लोगों को धर्म से भटकने वाला, काफ़िर या ईशनिंदा करने वाला बताना, लाशों को निकालकर जलाना, बाउल और फकीरों के उलझे हुए बाल जबरदस्ती काटना, महिलाओं को उनके आने-जाने या कपड़ों के लिए परेशान करना, म्यूजिक, डांस और थिएटर के शो में रुकावट डालना और यहां तक कि खेल और मेलों में भी रुकावट डालना. यह सब बताता है कि अलग सोच या लाइफस्टाइल रखने वालों को खत्म करना उनका मकसद बन गया है.”

लोगों ने की अंतरिम सरकार की आलोचना

इन हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए असरदार कदम उठाने में नाकाम रहने के लिए मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए, लोगों ने कहा कि इन हमलों के पीछे ‘ईशनिंदा’ के आरोपों को लगातार मुख्य हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. बयान में उन्‍होंने कहा कि “डेढ़ साल के बाद भी सरकार के बर्ताव से लगता है कि अपनी जगह मजबूत करने के लिए धार्मिक फासीवाद को चुपचाप बर्दाश्त किया जा रहा है. इससे डेमोक्रेसी के सपोर्टर नागरिकों की निराशा बढ़ रही है और हारी हुई फासीवादी ताकतों की वापसी का रास्ता बन रहा है. इससे बांग्लादेश को ग्लोबल स्टेज पर एक संभावित धार्मिक कट्टरपंथी देश के तौर पर दिखाने के मौके भी मिल रहे हैं. ”

कई ह्यूमन ऑर्गनाइजेशन में गुस्सा

लोगों ने अबुल सरकार की गिरफ्तारी की भी निंदा की और उनकी तुरंत रिहाई की मांग की. बयान जारी करने वालों में बांग्लादेश में टीचर, राइटर, रिसर्चर, आर्टिस्ट, जर्नलिस्ट, ह्यूमन राइट्स डिफेंडर, कल्चरल एक्टिविस्ट और बाउल फॉलोअर शामिल थे. बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत माइनॉरिटी के खिलाफ बढ़ती हिंसा, बढ़ती भीड़ की हिंसा और राजनीतिक विरोधियों की अंधाधुंध गिरफ्तारियां देखी गई हैं.  इससे दुनिया भर के लोगों और कई ह्यूमन ऑर्गनाइजेशन में गुस्सा है.

इसे भी पढें:-कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों के लिए खुशखबरी, बिल सी-3 को संसद से मिली मंजूरी

Latest News

अखिलेश यादव ने लिया बड़ा संकल्प, केदारेश्वर महादेव मंदिर निर्माण के बाद करेंगे प्रमुख शिवालयों के दर्शन

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने मंगलवार को इटावा में अपने पैतृक...

More Articles Like This