सरकार द्वारा मंगलवार को साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत का कॉरपोरेट टैक्स संग्रह पिछले चार वित्त वर्षों में लगभग 115 प्रतिशत बढ़ा है. वित्त वर्ष 2024–25 में कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़कर 9,86,767 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2020–21 में यह 4,57,719 करोड़ रुपए था. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि नेट प्रॉफिट मार्जिन अब प्री-कोविड स्तर से भी अधिक हो चुका है. वित्त वर्ष 2024–25 में कॉरपोरेट क्षेत्र का कुल मुनाफा बढ़कर 7.1 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो 2020–21 में 2.5 लाख करोड़ रुपए था.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में वृद्धि दर, निवेश और नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए 2016 के बाद से कॉरपोरेट टैक्स में काफी कमी की गई है. इसके साथ ही, टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के लिए कॉरपोरेट्स को मिलने वाली छूट और इंसेंटिव को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया गया है. फाइनेंस एक्ट, 2016 ने कॉर्पोरेट टैक्स दर को कंपनी की कुल आय का 29 प्रतिशत कर दिया था. फिर, फाइनेंस एक्ट, 2017 के तहत, कॉर्पोरेट टैक्स दर को कंपनी की कुल आय का 25 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे 50 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाली छोटी घरेलू कंपनियों को अधिक लाभकारी बनाया जा सके और फर्मों को कंपनी फॉर्मेट में माइग्रेट करने के लिए बढ़ावा दिया जा सके.
इसी तरह, 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स दर को घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार के विभिन्न वैधानिक, प्रशासनिक और प्रवर्तन कदमों के कारण देश का टैक्स आधार बीते कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है. एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि भारतीय बैंकों ने बीते तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट लोगों को वापस कर दिए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2025 तक, सरकारी बैंकों ने इस फंड में 58,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की है, जिसमें अकेले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हिस्सेदारी 19,330 करोड़ रुपए है. निजी क्षेत्र के बैंकों ने इस फंड में कुल 9,000 करोड़ रुपए का योगदान किया है. इसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की भागीदारी सबसे बड़ी रही है.