New Delhi: इंडिगो एयरलाइन के लगातार उड़ान रद्द होने और यात्रियों को हो रही भारी परेशानियों के बीच मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है. मुख्य न्यायाधीश से इस पूरे संकट पर स्वतः संज्ञान लेने और मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है.
इंडिगो द्वारा बीते कुछ दिनों में 1700 से अधिक उड़ानें रद्द
पत्र के माध्यम से दायर पिटीशन में कहा गया है कि इंडिगो द्वारा बीते कुछ दिनों में 1700 से अधिक उड़ानें रद्द करने और गंभीर देरी के कारण लाखों यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स पर फंस गए, जिससे एक तरह का मानवीय संकट पैदा हो गया है. वकील नरेंद्र मिश्रा ने इसे यात्रियों के मौलिक अधिकार विशेषकर अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) का गंभीर उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है.
हजारों यात्री एयरपोर्ट्स पर घंटों तक फंसे रहे
वकील नरेंद्र मिश्रा द्वारा भेजी गई इस विस्तृत याचिका में कहा गया है कि देशभर में इंडिगो की उड़ानें लगातार चौथे दिन (5 दिसंबर 2025) भी बाधित रहीं. छह बड़े मेट्रो शहरों में एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5% तक गिर गई. हजारों यात्री (जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, दिव्यांग और बीमारी से जूझ रहे लोग शामिल हैं) एयरपोर्ट्स पर घंटों तक फंसे रहे. खाने-पीने, आराम, कपड़े, दवाइयों और रहने की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गईं जबकि एयरलाइन ने खुद मान लिया है कि उसके पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी.
आपातकालीन मेडिकल जरूरतों की भी अनदेखी
अनेक मामलों में आपातकालीन मेडिकल जरूरतों की भी अनदेखी कर दी गई. याचिका में कहा गया है कि इंडिगो ने नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) फेज-2 लागू करने में गंभीर चूक की. यह नॉर्म पायलटों की सुरक्षा और थकान को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया था लेकिन एयरलाइन के गलत प्लानिंग और रोस्टरिंग के कारण पूरा ऑपरेशन चरमरा गया. याचिका में इसे गंभीर कुप्रबंधन और यात्रियों के साथ अन्याय बताया गया है.
इसे भी पढ़ें. बाबरी विध्वंस के 33 साल… पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर, अयोध्या सहित पूरे UP में कड़ी सुरक्षा

