Saudi Arabia Executions : एक बार फिर सऊदी अरब ने फांसी के मामलों में दुनिया को चौंका दिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में अब तक सऊदी अरब में 340 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है. बता दें कि यह आंकड़ा चौंकाने के साथ अपने इतिहास में अब तक का सबसे ऊंचा स्तर भी है. जानकारी के मुताबिक, पिछले साल 2024 में 338 लोगों को फांसी दी गई थी, जिसे उस समय रिकॉर्ड माना गया था, लेकिन इस साल वह रिकॉर्ड भी टूट गया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह आंकड़ा उस समय सामने आया जब सऊदी गृह मंत्रालय ने पुष्टि की कि मक्का में हत्या के मामलों में तीन दोषियों को फांसी दी गई और वहीं दूसरे साल सऊदी अरब ने फांसी के मामलों में अपना ही पुराना रिकॉर्ड पार कर लिया है. ऐसे में मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
ड्रग्स से जुड़े अपराधों में दी गई फांसी
ऐसे में मामलों की बात करें तो ड्रग्स से जुड़े अपराधों में सबसे ज्यादा फांसी दी गई है. इस साल अब तक दी गई कुल फांसियों में से करीब 232 मामले ड्रग्स की तस्करी या उससे जुड़े अपराधों के हैं. लेकिन आंकड़ो को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून का कहना है कि केवल बेहद गंभीर अपराधों, जैसे जानबूझकर की गई हत्या तक सीमित होनी चाहिए, लेकिन सऊदी अरब में ड्रग्स मामलों में भी बड़े पैमाने पर फांसी दी जा रही है.
मौत की सजा को लेकर आलोचना
बता दें कि ड्रग्स के अलावा आतंकवाद से जुड़े मामलों में भी कई लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है. वर्तमान में इसे लेकर काफी आलोचना भी हो रही है क्योंकि कई बार आरोप बहुत व्यापक कानूनों के तहत लगाए जाते हैं और मुकदमों की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं मानी जाती. इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि कई आरोप ऐसे होते हैं जिनकी स्पष्ट परिभाषा ही नहीं होती.
नाबालिगों से जुड़े मामलों को लेकर गंभीर चिंता
प्राप्त जानकारी के अनुसार मानवाधिकार संगठनों के लिए सबसे गंभीर चिंता नाबालिगों से जुड़े मामलों को लेकर है. कुछ ही महीनों में दो ऐसे लोगों को भी फांसी दी गई, जिन्हें नाबालिक कहा जा रहा है. यह संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार समझौते का सीधा उल्लंघन माना जा रहा है, बता दें कि सऊदी अरब इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुका है. साल 2020 में अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद सऊदी सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि नाबालिगों को मौत की सजा नहीं दी जाएगी, लेकिन इसके बाद भी ऐसे कई मामले सामने आए.
मामले पर नदीयीन अब्दुल अजीज ने कहा
ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संगठन अलक़्स्ट का कहना है कि अभी भी कुछ नाबालिग अवस्था में किए गए अपराधों के लिए कभी भी फांसी दी जा सकती है. इस मामले को लेकर संगठन की शोधकर्ता नदीयीन अब्दुल अजीज ने कहा है कि सऊदी अरब का यह रवैया जीवन के अधिकार के प्रति बेहद कठोर और खतरनाक है.
फांसी देने वाले देशों में तीसरे स्थान पर सऊदी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी नागरिकों को बड़ी संख्या में फांसी दी गई है, विशेष रूप से ड्रग्स से जुड़े मामलों में. ऐसे में अगर वैश्विक स्थिति की बात करें तो एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब बीते तीन वर्षों से दुनिया में सबसे ज्यादा फांसी देने वाले देशों में तीसरे स्थान पर बना हुआ है. वर्तमान के आंकड़ो को देखकर संभावना जताई जा रही है कि इस साल यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.
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