भारत में वर्ष 2025 के दौरान शीर्ष सात शहरों में बिके आवासीय घरों का कुल मूल्य 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 5.68 लाख करोड़ रुपये था. यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई.
रियल एस्टेट सर्विसेज कंपनी एनारॉक के अनुसार, 2025 में देशभर में घरों की कुल बिक्री मात्रा में 14% की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 3,95,625 यूनिट रह गई, जबकि 2024 में यह 4,59,645 यूनिट थी.
2025 में मुंबई-पुणे में घरों की बिक्री में गिरावट
घर खरीदारी में आई इस गिरावट के पीछे प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतें, आईटी सेक्टर में छंटनी, भू-राजनीतिक तनाव और कमजोर मांग को प्रमुख कारण माना गया है. मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में सबसे ज्यादा करीब 1,27,875 आवासीय इकाइयों की बिक्री दर्ज की गई, हालांकि यह आंकड़ा साल-दर-साल 18% की कमी को दर्शाता है.
वहीं पुणे में लगभग 65,135 यूनिट्स की बिक्री हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20% कम रही. इन दोनों प्रमुख बाजारों की हिस्सेदारी 2025 में कुल आवासीय बिक्री का करीब 49% रही.
2025 में चेन्नई में घरों की बिक्री में बढ़ोतरी
इसके उलट, चेन्नई एकमात्र ऐसा शहर रहा जहां बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 15% उछलकर लगभग 22,180 यूनिट्स तक पहुंच गई. एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा,“वर्ष 2025 भू-राजनीतिक उथल-पुथल, आईटी क्षेत्र में छंटनी, टैरिफ संबंधी तनाव और अन्य अनिश्चितताओं सहित व्यापक उथल-पुथल से भरा रहा है.”
उन्होंने आगे कहा, “शीर्ष 7 शहरों में बिक्री की मात्रा लगभग 4 लाख इकाइयों पर स्थिर रही, लेकिन कुल बिक्री मूल्य में वृद्धि हुई. नई आपूर्ति का 21% से अधिक हिस्सा 2.5 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य वर्ग में लॉन्च किया गया.”
महंगे प्रॉपर्टी की आपूर्ति बढ़ी
रिपोर्ट के अनुसार, सात शहरों में आवासीय घरों की औसत कीमत लगभग 8 प्रतिशत बढ़कर लगभग 9,260 रुपए प्रति वर्ग फुट हो गई, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में 23% की वृद्धि के साथ कीमत लगभग 9,300 रुपए प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गई. यह वृद्धि मुख्य रूप से महंगे घरों की नई आपूर्ति में वृद्धि के कारण हुई. इस वर्ष एनसीआर में कुल 61,775 नई आवासीय इकाइयों की आपूर्ति की गई, जिनमें से 55% से ज्यादा घरों की कीमत 2.5 करोड़ रुपये से ऊपर रही.
उल्लेखनीय है कि आवासीय संपत्तियों की औसत कीमतों में बढ़ोतरी की रफ्तार, जो पिछले कुछ वर्षों में दो अंकों में थी, 2025 में घटकर एकल अंक तक सिमट गई. रिपोर्ट के मुताबिक, यदि रेपो दरों में कटौती होती है तो 2026 में होम लोन की ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जिससे आवासीय मांग में फिर से मजबूती आने की संभावना है.

