एक अनोखा शिव मंदिर… जहां समुद्र देवता स्वयं करते हैं शिवलिंग का जलाभिषेक

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Shree Stambhewshwar Mahadev Temple: भारत में देवों के देव महादेव को समर्पित कई ऐसे मंदिर हैं, जहां रोचक घटनाएं होती है. ऐसा ही एक मंदिर है श्री स्‍तंभेश्‍वर महादेव मंदिर. यह मंदिर गुजरात के भरूच जिले के कावी गांव मके पास तट पर स्थित है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यह दिन में दो बार दर्शन देकर छुप जाता है. आइए इस अनोखे मंदिर के बारे में जानते हैं.

150 वर्षो से भी ज्‍यादा पुराना

स्‍तंभेश्‍वर महादेव मंदिर का इतिहास 150 वर्षो से भी ज्‍यादा पुराना है. यह मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है. कोई भी व्यक्ति मंदिर के प्रांगण में बैठकर समुद्र की उठती लहरों का आनंद ले सकता है. यहां से समुद्र की दूसी सिर्फ 50 मीटर है. जब समुद्र में उच्‍च ज्‍वार उठती है तो यह मंदिर समुद्र में समा जाता है. पानी जब धीरे धीरे कम होता जाता है तो एक अलौकिन दृश्‍य बनता है. मानों भगवान शिव प्रकट हो रहे हों. ऐसा दिन में दो बार होता है. इस जगह को गुप्ततीर्थ या संगमतीर्थ भी कहते हैं.

मंदिर का पौराणिक इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने यहां शिवलिंग की स्थापित की थी. शिवलिंग को स्थापित करने के पीछे की वजय यह था कि भगवान कार्तिकेय ने इसी जगह पर राक्षस तारकासुर का वध किया था. तारकासुर शिवभक्त था. इस वजह से कार्तिकेय को अपराध बोध होने लगा. भगवान नारायण ने उन्हें शिवलिंग स्थापित करने और क्षमा याचना करने की सलाह दी थी. तब भगवान कार्तिकेय ने यहां शिवलिंग स्‍थापित की और भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए यहां वर्षों तक तपस्‍या की. महापुराण के कुमारिका खंड में इस मंदिर का 550 पन्नों का इतिहास है. विश्व के प्रमुख महादेव मंदिरों में से एक है स्तंभेश्वर महादेव मंदिर. भगवान केदारनाथ के बाद इस शिवलिंग की महिमा बताई गई है.

समुद्र देव करते हैं अभिषेक 

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की खास बात यह है कि समुद्र देवता दो दिन में दो बार शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. स्‍तंभेश्‍वर महादेव शिवलिंग 6 घंटे तक पानी में रहता है, तो 6 घंटे तक पानी से बाहर रहता है. महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में मेले का आयोजन होता है. सावन महीने में 1 माह तक यहां मेला लगता है. यहां श्रावण मास, महाशिवरात्रि, अमास, सोमवार सहित अन्य दिनों में लाखों की संख्‍या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.

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