World Dead Water: दुनियाभर के जल निकायों में बढ़ रहा ‘डेड वाटर एरिया’, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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World Dead Water: आपने नदियों और तालाबों में कई बार मछलियों के मरने की घटना सुनी होगी, लेकिन क्‍या आपको पता है कि इसकी वास्‍तव में वजह क्‍या होती है और यह कितनी खतरनाक होती जा रही है. दरअसल पृथ्‍वी के ऊपर रहने वाले जीवों के लिए ऑक्सीजन जितनी महत्वपूर्ण होती है, उतनी ही पानी में रहने वाले जीवों के लिए भी होती है. लेकिन अब पानी की ऑक्सीजन धीरे-धीरे समाप्‍त हो रहा है, जिसका प्रभाव आने वाले समय में इसानों पर भी देखने को मिल सकता है.

आपको बता दें कि दुनियाभर के सभी जलनिकायों में डेड वाटर एरिया बढ़ रहा है. डेड वाटर मतलब ऐसा पानी जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है. ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि आगे भी ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया बड़े संकट के घेरे में होगी. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ऐसी स्थिति उत्‍पन्‍न होती है तो पानी में रहने वाले जीवों की तेजी से मृत्यु होने लेगेगी, जिसका गंभीर प्रभाव मनुष्यों पर भी पड़ेगा.

क्‍यों मर रहे जलीय जीव

पानी में घुली ऑक्सीजीन (DO) स्वस्थ जलीय इकोनॉमी के लिए बेहद ही जरूरी होता है, चाहे वो मीठा पानी का निकाय हो या खारे पानी का समुद्र. इसमें रहने वाले जीव तभी तक जिंदा रह सकते है, जब तक उसमें ऑक्सीजन मौजूद है. वहीं जलीय जीव मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी हैं, ऐसे में इनकी मौत हो जाने पर दुनिया पर सबसे बड़ा संकट आ जाएगा.

पानी में ऑक्सीजन की हो रही कमी

वैज्ञानिकों की माने तो पानी की ऑक्सीजन कमी व बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनियाभर के जल निकायों का पानी गर्म हो रहा है. जिससे उसमें रहने वाले जीवों का दम घुटने लगता है, ऐसे में उनकी मौत हो जाती है. वहीं, कारखानों से निकलने वाली गैसें और उसके गंदे पानी भी जल में घुली ऑक्सीजन को तेजी से सोखते हैं. इसके अलावा खेतों में भारी मात्रा में कीटनाशक दवाओं का इस्‍तेमाल भी इसपर बुरा प्रभाव डाल रहा है.

पानी में कितना कम हुआ ऑक्सीजन

वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 1950 से अब तक महासागरों में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा में 2 प्रतिशत की कमी आ गई है. वहीं, कुछ क्षेत्रों में तो 20-50 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है. ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि ऐसे ही चलता रहा तो साल 2100 तक समुद्री ऑक्सीजन में 3-4 फीसदी की कमी हो सकती है.

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