देवाधिदेव महादेव ने क्यों धारण किया अर्धनारीश्वर स्वरूप? जानिए रहस्य

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Mahashivratri 2024: शिवभक्‍तों का सबसे बड़ा त्‍योहार महाशिवरात्रि आने में कुछ ही दिन शेष है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी ति‍थि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, और इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024, दिन शुक्रवार को है. भगवान शिव को समर्पित इस दिन शिवशक्ति की विधिनुसार पूजा अर्चना की जाती है. लोग भोलेनाथ को प्रसन्‍न करने के लिए इस व्रत रखते हैं.

मान्‍यता है कि इस दिन महादेव और मां पार्वती विवाह के बंधन में बंधे. आज के खबर में हम बात करेंगे भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की. जी हां भगवान शिव का यह स्‍वरूप बेहद भव्य है. पौराणिक मान्यता है कि भोलेनाथ  ने यह रूप ब्रह्मा जी के सामने धारण किया था. भक्‍त भगवान शिव-शक्ति को प्रसन्न करने के लिए महादेव जी के अर्धनारीश्वर स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं कि भगवान शिव ने आखिर क्यों अर्धनारीश्वर का स्वरूप धारण किया और अर्धनारीश्‍वर का क्‍या अर्थ है.

अर्धनारीश्‍वर का अर्थ

अर्धनारीश्वर का अर्थ है आधा पुरुष और आधी स्त्री. भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप पुरुष और स्त्री की समानता को दिखाता है. महादेव के इस स्वरूप के आधे हिस्से में पुरुष और आधे हिस्से में स्त्री का वास है. इस स्वरूप से यह संकेत मिलते हैं कि स्‍त्री और पुरुष दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु हैं. स्‍त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं.

क्‍यों धारण किया अर्धनारीश्वर रूप

पौराणिक कथा के मुताबिक, सृष्टि के रचईता भगवान ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण शुरू किया, तो उन्‍होंने सोचा कि उनके द्वारा की गई सभी रचनाएं जीवनोपरांत नष्ट हो जाएंगी. हर बार उनको नए सिरे से सृजन करना पड़ेगा. ऐसे में भगवान ब्रह्मा के समक्ष बड़ी समस्‍या खड़ी हो गई. इसके बारे में काफी सोच-विचार के बाद ब्रह्मा जी भोलेनाथ के पास गए. भगवान ब्रह्मा के अनुरोध पर देवाधिदेव महादेव ने पुरुष और स्त्री की उत्पति के लिए अर्धनारीश्वर रूप धारण किया. इसके बाद अर्धनारीश्वर रूप में महादेव ने ब्रह्मा जी को दर्शन दिए. ऐसे में ब्रह्मा जी को आधे हिस्से में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति और आधे हिस्से में शिव दिखे. महादेव जी ने अर्धनारीश्वर रूप के दर्शन के द्वारा ब्रह्मा जी को प्रजननशील प्राणी के सृजन की प्रेरणा दी.

ये है मान्यता

मान्‍यता है कि शिवजी के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा करने से भक्‍त को शुभ फल की प्राप्त होती है. साथ ही भगवान शिव-पार्वती दोनों की कृपा बनी रहती है.

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