सावन के पवित्र महीने में इस दिन है मंगला गौरी का व्रत, जानें कैसे करनी है देवी की पूजा

Mangala Gauri Vrat : पुराणों के अनुसार 29 जुलाई को सावन के तीसरे सोमवार को मंगला गौरी व्रत है. इसे मोराकत व्रत के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती का दिन अतिप्रिय माना जाता है. इसी वजह से सावन के पवित्र के महीने में सोमवार को शिव जी और मंगलवार को माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा करते है और यह शास्त्रों में बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताया गया है. बता दें कि मंगल को वैवाहिक जीवन के लिए अमंगलकारी माना जाता है.

हनुमान जी की पूजा मानी जाती है उत्तम

यह कुण्डली में मंगल की विशेष स्थिति के कारण ही मांगलिक योग बनता है. जो कि दांपत्य जीवन में सभी प्रकार की समस्‍याओं का कारण बनता है. इस दौरान मंगल की शांति के लिए मंगलवार को व्रत और हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इसे बहुत ही उत्तम माना जाता है, साथ ही शास्त्रों में इसे स्त्रियों के लिए सौभाग्यदायक बताया गया है.

व्रत करने से मिलते हैं ये फल

इस दिन व्रत रखने से विवाह में हो रहे विलंब समाप्त हो जाते हैं और दांपत्य जीवनसुखी रहता है. इसके साथ ही जीवन-साथी के प्राणों की रक्षा होती है.  ऐसे में गृहक्लेश भी समाप्त होता है, यदि आपके जीवन में डाइवोर्स तथा सेपरेशन से संबन्धित कोई परेशानी है तो वह दूर हो सकती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. जो स्त्रियां सावन महीने में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं,  माता रानी उनके पति पर सदैव कृपा बनाए रखती है और हर बुरे संकट से उनकी रक्षा करती हैं.

व्रत के साथ रिना चाहिए ये संकल्प 

इस दौरान व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं. इसके सा‍थ ही तत्पश्चात आचमन एवं मार्जन कर चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा व चित्र के सामने उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव में एक आटे का दीपक बनाकर उसमें सोलह बातियां जलानी चाहिए.

इस पूजा के लिए सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लवंग और इलायची के साथ सुहाग की सामग्री और मिठाई माता के सामने रखकर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी यंत्र स्थापित कर विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर नीचे दिए गए मंत्र का इस मंत्र का जप 64,000 बार करना चाहिए.

कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्

नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्

5 साल तक करनी चाहिए पूजा  

व्रत के साथ पूजा के समय मंगला गौरी की कथा भी सुननी चाहिए और फिर सोलह बत्तियों वाले दीपक से मंगला गौरी की आरती करें. बता दें कि पूजा खत्‍म होने के बाद सोलह लड्डू अपनी सास को तथा अन्य सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें. पुरानों के अनुसार पांच साल तक मंगला गौरी पूजा करने के बाद श्रावण के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए. इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होगा और दांपत्य जीवन में खुशहाली आयेगी.

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