सूर्य को जल अर्पित करने का सही तरीका, जानें किस्मत बदलने का सीक्रेट कोड!

Surya ko Jal dene Ka Sahi Niyam : हमारे सनातन धर्म में करोड़ों हिंदू प्रतिदिन सूर्य देवता को जल अर्पित करते हैं, लेकिन सबको सूर्य देवता को जल चढ़ाने का सही तरीका नही पता होता. सिर्फ 1 प्रतिशत लोग ऐसे होते है जिन्‍हें जल चढ़ाने का यही तरीका पता होता है. जिससे बुरे दिन खत्म होते हैं और जीवन में अच्छे दिन और सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं.

बता दें कि सूर्य को सही नियम से जल चढ़ाने बाद ये आपकी किस्मत बदलने का सीक्रेट कोड भी है. आइए जानते हैं सूर्य को जल अर्पित करने के वो नियम जिसके बारे में कम लोगों को ही पता है.

सूर्य को जल अर्पित करने का सही नियम-

ज्‍योतिष के अनुसार सूर्य को जल अर्पित करने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि इससे सूर्य की ऊर्जा आप तक आसानी से पहुंचती है.

सूर्य को जल चढ़ाने के लिए हमेशा नियमानुसार समय का प्रयोग करें.बता दें कि इन्‍हें हमेशा से 9 बजे से पहले ही उन्हें जल अर्पण करें. इसका मुख्‍य कारण है यह है कि सूर्य की किरणें प्योर और गुणकारी होती है.

इसके साथ ही जल डालते समय तांबे के कलश में अक्षत के साथ रोली और लाल फूल जरूर डालें. इससे सूर्य देवता अत्‍यधिक प्रसन्‍न होते हैं.

ध्‍यान रहे जल चढ़ाते हमेशा का मुख पूर्व दिशा का ओर होना चाहिए और जल चढ़ाते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.

सूर्य को जल चढ़ाने के बाद जल जहां पर गिरता है, वह से जल को स्पर्श करके अपने माथे पर जरूर लगाएं. ऐसे में आपकी शरीर सारी नेगेटिविटी खत्म होगी.

इस उपायों को करने से आपकी जिंदगी में हमेशा सफलता प्राप्त होती है.

सूर्य को जल अर्पण करने से होते हैं ये लाभ

बता दें कि जब भी हम सूर्य को जल चढ़ाते हैं, तो उस वक्त हमारे शरीर में तीन चीजें जागृत होती हैं. पहली सप्तधातु, दूसरी पिंगला नाड़ी और तीसरी तप्त ताम्र प्रभाव.

  • सप्तधातु का मतलब (शरीर के 7 धातुएं)- इसका मतलब शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है.
  • पिंगला नाड़ी का अर्थ- सूर्य को जल देने से आपका आत्मविश्वास और एक्शन लेने की ऊर्जा में वृ्द्धि होती है.
  • तप्त ताम्र प्रभाव- ये नेगेटिविटी को आपके अंदर से खत्‍म करके अपने अंदर समाहित करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और ये सारी चीजें सिर्फ एक लोटा सूर्य को जल देने से, ये कोई रिवाज नहीं, बल्कि आपकी दिनचर्या है.

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