पांच वर्षों में 226% बढ़ा रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स का AUM, फोलियो में हुआ 18% का इजाफा

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट जून 2025 तक बढ़कर ₹31,973 करोड़ पहुंच गया है, जो कि जून 2020 में ₹9,800 करोड़ था. यह बीते पांच वर्षों में 226.25% की उल्लेखनीय वृद्धि है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक, पारदर्शिता में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा को लेकर मजबूत नियमों ने इन योजनाओं में लोगों का भरोसा बढ़ाया है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में वित्तीय नियोजन को लेकर जागरूकता में इज़ाफा हुआ है. साथ ही, रिटायरमेंट के लिए अधिक पूंजी जुटाने की प्रवृत्ति, बढ़ती जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत के चलते वृद्ध होती आबादी अब रिटायरमेंट फंड जैसे निवेश विकल्पों की ओर तेजी से आकर्षित हो रही है.

रिटायरमेंट के लिए म्यूचुअल फंड्स बना पहली पसंद

रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड एक विशेष प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम होती है, जो कि रिटायरमेंट के लिए धन एकत्रित करने पर विशेष रूप से केंद्रित होती है. आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बाजार डेटा प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा, बाजार में सुधार और वृद्धि के प्रति आशावाद के कारण इक्विटी म्यूचुअल फंडों में काफी निवेश हुआ है. यह लंबी अवधि के रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स के लिए भी अच्छा है. उन्होंने आगे बताया कि पारदर्शिता में बढ़ोतरी और निवेशक सुरक्षा रेगुलेशन ने रिटायरमेंट के लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए निवेशकों में आत्मविश्वास पैदा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स में कुल फोलियो की संख्या जून 2025 में 18.21% बढ़कर 30.09 लाख हो गई है, जो जून 2020 में 25.46 लाख थी.

रिटायरमेंट फंड्स की संख्या और रिटर्न दोनों में इज़ाफा

रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स की संख्या जून 2025 में बढ़कर 29 हो गई है, जो जून 2020 में 24 थी. रिपोर्ट में कहा गया कि इन फंड्स पर औसत चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न क्रमशः 1 वर्ष, 3 वर्ष और 5 वर्ष की अवधि के लिए 6.79%, 15.72% और 14.64% रहा. रिटायरमेंट फंड म्यूचुअल फंड डेट और इक्विटी दोनों में निवेश करते हैं. डेट सेगमेंट स्थिरता और धन संरक्षण की गारंटी देता है, जबकि इक्विटी सेगमेंट धन वृद्धि को बढ़ावा देता है.

रिटायरमेंट फंड्स और रोबो-सलाहकार मिलकर बना रहे हैं सुरक्षित भविष्य की नींव

रिपोर्ट के मुताबिक, इन फंडों की लॉक-इन अवधि पांच वर्ष या रिटायरमेंट तक होता है और ये रिटायरमेंट के बाद नियमित मासिक आय न होने पर आय का एक निरंतर प्रवाह प्रदान करने में मदद करते हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और रोबो-सलाहकारों के उदय ने रिटायरमेंट निवेश को और अधिक आसान बना दिया है. उन्‍होंने आगे कहा, ये उपकरण उम्र, जोखिम सहनशीलता और सेवानिवृत्ति लक्ष्यों के आधार पर व्यक्तिगत पोर्टफोलियो सुझाव प्रदान करते हैं, जिससे अधिक भागीदारी को बढ़ावा मिलता है.
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