CBDT ने लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में की वृद्धि, संपत्ति बिक्री पर होगा अधिक लाभ

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने मुद्रास्फीति-समायोजित परिसंपत्ति कीमतों की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) में वृद्धि की है, जिससे करदाताओं को लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर अधिक राहत का दावा करने की अनुमति मिल गई है. ताजा अधिसूचना के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए CII को संशोधित कर 376 कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष 363 था.

उच्च सूचकांक का अर्थ है उच्च समायोजित लागत

लागत मुद्रास्फीति सूचकांक किसी परिसंपत्ति के क्रय मूल्य को मुद्रास्फीति के अनुरूप समायोजित करने में मदद करता है. यह समायोजन कर योग्य पूंजीगत लाभ को कम करता है, जिसकी गणना बिक्री मूल्य और मुद्रास्फीति-समायोजित खरीद मूल्य के बीच के अंतर के रूप में की जाती है. उच्च सूचकांक का अर्थ है उच्च समायोजित लागत, जो बदले में विक्रेताओं पर कर का बोझ कम करती है.

FY26 और असेसेमेंट ईयर 2026-27 के लिए लागू होगा यह संशोधित सूचकांक

यह संशोधित सूचकांक FY26 और असेसेमेंट ईयर 2026-27 के लिए लागू होगा, जब FY26 में अर्जित आय के लिए आईटी रिटर्न दाखिल किया जाएगा. इस पद्धति का उपयोग करने के पीछे उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पूंजीगत लाभ कर केवल वास्तविक लाभ पर लगाया जाए, न कि मुद्रास्फीति के कारण होने वाले लाभ पर. हालांकि, इंडेक्सेशन के संबंध में समग्र नियमों में बदलाव हुए हैं.

2024 के वित्त अधिनियम ने पूंजीगत लाभ कर के लिए पेश किए थे नए नियम

सरकार के कर सरलीकरण प्रयासों के हिस्से के रूप में, 2024 के वित्त अधिनियम ने पूंजीगत लाभ कर के लिए नए नियम पेश किए थे. अपडेट किए गए नियमों के तहत, इंडेक्सेशन लाभ मुख्य रूप से 23 जुलाई, 2024 से पहले बेची गई संपत्तियों के लिए उपलब्ध होंगे. इस तिथि के बाद की गई बिक्री के लिए कोई निवासी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार (एयूएफ) अभी भी इंडेक्सेशन लाभ का दावा कर सकते हैं, लेकिन यह केवल तभी लागू होगा, जब संपत्ति 23 जुलाई, 2024 से पहले अर्जित की गई हो.

करदाताओं को दिए गए दो विकल्प

ऐसे मामलों में करदाताओं को दो विकल्प दिए गए हैं. पहला, वे इंडेक्सेशन के बिना नई फ्लैट 12.5% दर पर कर का भुगतान कर सकते हैं. दूसरा- इंडेक्सेशन के साथ 20% दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करना चुन सकते हैं. हालांकि, यह विकल्प अनिवासी भारतीयों (एनआरआई), कंपनियों के लिए उपलब्ध नहीं है. उन्हें अब नई फ्लैट-रेट प्रणाली का पालन करना होगा.
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