भारत और जॉर्जिया के बीच व्यापार के विस्तार पर हुई चर्चा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत और जॉर्जिया के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच व्यापार विस्तार को लेकर बैठक आयोजित की गई, जिसमें नए क्षेत्रों की पहचान, बाजार पहुंच में सुधार और वस्त्र, परिधान, कालीन तथा मूल्यवर्धित रेशम उत्पादों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया. यह जानकारी वस्त्र मंत्रालय ने रविवार को साझा की. मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय रेशम बोर्ड (CSB) के सदस्य सचिव और अंतरराष्ट्रीय रेशम उत्पादन आयोग (ISC) के महासचिव पी. शिवकुमार के नेतृत्व में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल 17-21 नवंबर 2025 के दौरान जॉर्जिया में सफल बहु-क्षेत्रीय बैठक में शामिल हुआ.

सीएसबी ने अपने नए 5-इन-1 सिल्क स्टॉल का किया प्रदर्शन

इस बैठक का मुख्य उद्देश्य रेशम उत्पादन, वस्त्र, परिधान और कालीन व्यापार में दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करना था. प्रतिनिधिमंडल ने 11वें बीएसीएसए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन – कल्टुसेरी 2025 में भाग लिया जहां शिवकुमार ने आईएससी का प्रतिनिधित्व करते हुए उद्घाटन भाषण दिया और पारंपरिक रेशम ज्ञान में भारत के नेतृत्व और रचनात्मक एवं सांस्कृतिक उद्योगों में इसकी प्रासंगिकता के बारे में बताया. इस यात्रा के दौरान, सीएसबी ने अपने नए 5-इन-1 सिल्क स्टॉल का प्रदर्शन किया, जो शहतूत, ओक तसर, उष्णकटिबंधीय तसर, मूगा और एरी रेशमों का एक उत्कृष्ट उत्पाद है. यह उत्पाद भारत की समृद्ध रेशम विरासत का एक अनूठा प्रतिनिधि है, जिसकी बाजार में प्रबल संभावनाएं हैं.

भारत-जॉर्जिया सहयोग को और मिली मजबूती

प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालयों, रेशम उत्पादन प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केंद्रों, वस्त्र कंपनियों, परिधान निर्माताओं, कालीन व्यापारियों और जॉर्जियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (GCCI) सहित प्रमुख जॉर्जियाई संस्थानों के साथ बातचीत की. इन वार्ताओं में द्विपक्षीय वस्त्र व्यापार को बढ़ाने, उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने और रेशम उत्पादन में संयुक्त अनुसंधान की संभावनाओं पर जोर दिया गया. मंत्रालय ने बताया कि इस यात्रा के दौरान रेशम उत्पादन अनुसंधान और वस्त्र एवं परिधान व्यापार में भारत-जॉर्जिया सहयोग को और मजबूती मिली. इसके साथ ही, कालीनों और उच्च मूल्य वाले वस्त्रों सहित व्यापार को विविध बनाने के नए रास्ते खोजे गए और संस्थागत साझेदारी व तकनीकी सहयोग के लिए मार्ग भी तैयार किए गए.

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