अप्रैल-जून FY26 में 15% बढ़कर 18.62 अरब डॉलर हुआ FDI, अमेरिका से प्रवाह तीन गुना बढ़ा

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 18.62 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. यह वृद्धि अमेरिका से निवेश प्रवाह में तेज़ उछाल के चलते दर्ज की गई, जहां से एफडीआई लगभग तीन गुना बढ़कर 5.61 अरब डॉलर हो गया, भले ही टैरिफ से जुड़े मुद्दे अभी भी चुनौती बने हुए हैं. वित्त मंत्रालय के अनुसार, FY25 की पहली तिमाही में FDI का यह प्रदर्शन पिछले साल की समान तिमाही में दर्ज 16.17 अरब डॉलर की तुलना में बेहतर रहा है. हालांकि, इससे पहले FY24 की मार्च तिमाही में FDI प्रवाह में साल-दर-साल आधार पर 24.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, जब यह आंकड़ा 9.34 अरब डॉलर तक सीमित रह गया था.
कुल एफडीआई, जिसमें इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल है, समीक्षाधीन तिमाही के दौरान बढ़कर 25.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2024-25 की समान अवधि में यह 22.5 अरब डॉलर था. इस अवधि के दौरान, टैरिफ मुद्दों के बावजूद अप्रैल-जून 2024-25 में 1.50 अरब डॉलर की तुलना में 5.61 अरब डॉलर के साथ अमेरिका एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा। इसके बाद सिंगापुर (4.59 अरब अमेरिकी डॉलर), मॉरीशस (2.08 अरब अमेरिकी डॉलर), साइप्रस (1.1 अरब अमेरिकी डॉलर), यूएई (1 अरब अमेरिकी डॉलर), केमैन आइलैंड्स (67.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर), नीदरलैंड्स (66.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर), जापान (55.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर) और जर्मनी (19.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर) का स्थान रहा.
अप्रैल 2000 से जून 2025 के बीच 76.26 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है् इसी अवधि में शीर्ष निवेश स्रोत मॉरीशस (182.2 अरब अमेरिकी डॉलर) और सिंगापुर (179.48 अरब अमेरिकी डॉलर) हैं. क्षेत्रवार, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर), सेवाएं (3.28 बिलियन अमरीकी डॉलर), ट्रेडिंग (506 मिलियन अमरीकी डॉलर), दूरसंचार (24 मिलियन अमरीकी डॉलर), ऑटोमोबाइल (1.29 बिलियन अमरीकी डॉलर), निर्माण विकास (75 मिलियन अमरीकी डॉलर), गैर-परंपरागत ऊर्जा (1.14 बिलियन अमरीकी डॉलर) और रसायन (140 मिलियन अमरीकी डॉलर) में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान निवेश बढ़ा.
आंकड़ों से यह भी पता चला कि तिमाही के दौरान कर्नाटक को सबसे अधिक 5.69 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ. इसके बाद महाराष्ट्र (5.36 बिलियन अमरीकी डॉलर), तमिलनाडु (2.67 बिलियन अमरीकी डॉलर), हरियाणा (1.03 बिलियन अमरीकी डॉलर), गुजरात (1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर), दिल्ली (1 बिलियन अमरीकी डॉलर) और तेलंगाना (395 मिलियन अमरीकी डॉलर) का स्थान रहा. 2014 और 2019 के बीच महत्वपूर्ण सुधारों में रक्षा, बीमा और पेंशन क्षेत्रों में एफडीआई सीमा में वृद्धि, तथा निर्माण, नागरिक उड्डयन और एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए उदार नीतियां शामिल थीं.
2019 से 2024 तक, उल्लेखनीय उपायों में कोयला खनन, अनुबंध निर्माण और बीमा मध्यस्थों में स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देना शामिल है. 2025 के केंद्रीय बजट में, भारत में अपना पूरा प्रीमियम निवेश करने वाली कंपनियों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है. पिछले पूरे वित्तीय वर्ष में FDI इक्विटी प्रवाह 50.01 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि कुल FDI 80.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा.
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