GST 2.0 सुधारों से डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और Solar Sector को मिलेगा बढ़ावा: Report

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत के पूंजीगत वस्तुओं से जुड़े क्षेत्रों जैसे रक्षा, रिन्यूएबल एनर्जी और औद्योगिक मशीनरी को हाल ही में प्रस्तावित जीएसटी ढांचे में बदलाव से बड़ा लाभ मिल सकता है. जापानी ब्रोकिंग फर्म नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा चार-स्तरीय जीएसटी प्रणाली को 22 सितंबर, 2025 से केवल दो दरों – 5% और 18% में बदलने की तैयारी है.
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ब्रोकिंग फर्म का कहना है कि रक्षा खरीद और स्वदेशी विनिर्माण, जो अप्रत्यक्ष कर संरचनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, GST दरों में इस संशोधन से लाभान्वित होंगे. इससे महत्वपूर्ण उपकरणों, कंपोनेंट्स और सब-सिस्टम पर कर का बोझ कम होगा, जिससे बजट दक्षता में सुधार आएगा. सरकार ने ड्रोन सहित कई हाई-टेक रक्षा आयातों पर GST घटाकर 5% कर दिया है, जिससे इन उपकरणों के लाइफसाइकल खर्च में दीर्घकालिक बचत होगी.
नोमुरा ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट से मिलने वाले इंटरनल रेट्स ऑफ रिटर्न को लाभ होगा, क्योंकि उनके महत्वपूर्ण इनपुट और उपकरणों पर जीएसटी 12% के स्लैब से घटकर 5% के स्लैब में आ गया है. ब्रोकरेज ने कहा, जीएसटी में यह कटौती जीवाश्म ईंधन के मुकाबले सोलर एनर्जी की प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाती है, रूफटॉप सौर ऊर्जा को अपनाने में तेजी लाती है और 2030 के लिए भारत के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करती है.
जीएसटी को 28% से घटाकर 18% करने से एमएसएमई को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि इससे कई क्षेत्रों में मशीनरी की लागत कम होगी और आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा. स्पार्क या कम्प्रेशन इग्निशन इंजन, इंजन पंप, गैरेज के लिए ईंधन या लुब्रिकेंट पंप और अन्य संबंधित वस्तुओं पर जीएसटी की दर घटाकर 18% कर दी गई है. इस कदम से कृषि और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में एमएसएमई के लिए इनपुट लागत और उपकरण रखरखाव लागत में कमी आएगी.
ब्रोकिंग फर्म ने इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण क्षेत्र पर भी मिश्रित प्रभाव की सूचना दी है, क्योंकि किफायती आवास को कम सामग्री लागत का लाभ मिलता है, जबकि सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को अर्थवर्क-हेवी कॉन्ट्रैक्ट्स पर बढ़ी हुई जीएसटी दर के कारण अधिक लागत का सामना करना पड़ सकता है.
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