GST Bachat Utsav: भारत में 22 सितंबर से शुरू हुए जीएसटी बचत उत्सव ने आम जनता और कारीगरों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है. मोदी सरकार ने कई क्षेत्रों में जीएसटी दरों में कटौती कर नागरिकों को राहत दी है. खास तौर पर हस्तशिल्प क्षेत्र में किए गए इन सुधारों से कारीगरों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं— तीनों को सीधा लाभ मिला है.
जीएसटी 2.0 सुधार
नई GST 2.0 सुधारों के तहत लकड़ी, पत्थर और धातु से बनी मूर्तियों पर कर दर 12% से घटाकर सिर्फ 5% कर दी गई है. इसके साथ ही पेंटिंग्स, हस्तनिर्मित मोमबत्तियां, लकड़ी की नक्काशी वाले उत्पाद और मिट्टी-टेराकोटा के बर्तन भी अब कम टैक्स में उपलब्ध होंगे. इससे न केवल देश के कारीगरों को सहारा मिलेगा बल्कि हमारी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
ग्रामीण आजीविका को मिलेगा बढ़ावा
सरकार ने कपास और जूट से बने हैंडबैग और शॉपिंग बैग पर भी GST दरें 12% से घटाकर 5% कर दी हैं. यह कदम ग्रामीण आजीविका को समर्थन देने और सदियों पुरानी हस्तकला परंपराओं को बचाए रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
कारीगरों को मिलेगा फायदा
सरल भाषा में कहें तो अब हस्तशिल्प उत्पाद आम लोगों की जेब के हिसाब से ज्यादा सस्ते हो गए हैं. पहले जहां ऊंचे टैक्स की वजह से लोग इन चीजों को खरीदने से हिचकते थे, वहीं अब यह आसानी से उपलब्ध होंगे. इससे कारीगरों की आय बढ़ेगी, व्यापारियों का कारोबार फलेगा-फूलेगा और ग्राहकों को भी अपनी पसंद के सांस्कृतिक उत्पाद कम दाम में मिलेंगे.
सरकार का बड़ा कदम
सरकार का मकसद साफ है, भारतीय हस्तशिल्प को न सिर्फ देश में लोकप्रिय बनाना बल्कि इसे वैश्विक बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाना. टैक्स घटने से इन उत्पादों की कीमतें कम होंगी और विदेशों में भी इनकी मांग बढ़ेगी.
जीएसटी बचत उत्सव
कुल मिलाकर, GST बचत उत्सव ने यह साबित कर दिया है कि सही नीतियों के जरिए परंपरा और आधुनिकता को जोड़कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है. यह कदम कारीगरों की मेहनत का सम्मान करने और ग्राहकों को सीधी राहत देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.