केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए जीएसटी सुधारों से भारत में उपभोग में तेज वृद्धि होने की संभावना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इन बदलावों का सबसे अधिक फायदा एफएमसीजी, फुटवियर, परिधान और क्विक सर्विस रेस्तरां (QSR) सेक्टर को मिलेगा.
बर्नस्टीन की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सुधारों का सबसे बड़ा असर उन घरेलू उपभोग की वस्तुओं पर पड़ेगा, जिनका आम जनजीवन में रोज़ाना इस्तेमाल होता है– जैसे साबुन, शैंपू, हेयर ऑयल, पाउडर और टूथपेस्ट। इन उत्पादों पर लगने वाला GST पहले 12% से 18% के बीच था, जिसे घटाकर अब सिर्फ 5% कर दिया गया है.
एफएमसीजी कंपनियों को मिलेगी राहत
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बदलाव से एफएमसीजी कंपनियों को तत्काल राहत मिलेगी, क्योंकि उपभोक्ता अब कम टैक्स देने के कारण या तो बड़ा पैक खरीदेंगे या फिर बची हुई राशि को अन्य उत्पादों पर खर्च करेंगे. इससे खपत में वृद्धि की दोहरी संभावना बनती है.
इससे डीमार्ट, विशाल मेगामार्ट, स्टार (ट्रेंट), और क्विक-कॉमर्स कंपनियों को सीधे तौर पर लाभ मिलने की उम्मीद है. परिधान और फुटवियर सेगमेंट में भी GST ढांचे में बदलाव हुआ है. अब 1,000 से 2,500 रुपये तक के कपड़े और जूते-चप्पलों पर सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा.
महंगे फुटवियर पर 18% की दर पहले की तरह बनी रहेगी
इससे पहले, इन्हीं श्रेणियों पर अलग-अलग दरें लागू थीं—1,000 रुपए से कम परिधान पर 5%, अधिक कीमत वाले पर 12% और फुटवियर पर 12% से 18% तक टैक्स लगता था. हालांकि, 2,500 रुपये से अधिक के परिधानों पर अब 18% जीएसटी लगेगा, जो पहले 12% था. महंगे फुटवियर पर 18% की दर पहले की तरह बनी रहेगी.
इस संशोधन से ट्रेंट, आदित्य बिड़ला फैशन (ABFRL) जैसी कंपनियों को लाभ होगा, जिनकी बिक्री का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं मूल्य श्रेणियों से आता है. लिबर्टी, कैंपस, मेट्रो जैसे फुटवियर ब्रांड्स पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा.
क्यूएसआर सेक्टर को इन बदलावों से हुआ बड़ा फायदा
क्यूएसआर सेक्टर को भी इन बदलावों से बड़ा फायदा हुआ है. जिन इनपुट्स पर पहले ज्यादा जीएसटी लगता था- जैसे पनीर, मक्खन, घी, मार्जरीन, सॉस और पैकेजिंग सामग्री—उन पर अब टैक्स घटा दिया गया है. चूंकि क्यूएसआर को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता, इसलिए टैक्स कटौती से उनकी लागत में सीधा कमी आएगी और मार्जिन बेहतर होंगे.
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