भारतीय IT कंपनियों पर H-1B वीजा फीस में बढ़ोतरी का बहुत कम होगा असर: Report

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारतीय आईटी सर्विस कंपनियों की H-1B वीजा पर निर्भरता में बीते 10 वर्षों में आई गिरावट के चलते वीजा फीस में संभावित वृद्धि का असर सीमित रहने की संभावना है. फ्रैंकलिन टेम्पलटन की रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते लोकलाइजेशन और ऑफशोरिंग ट्रेंड्स ने कंपनियों की अमेरिका पर प्रत्यक्ष निर्भरता कम की है. हालांकि, मध्यम अवधि में अमेरिका में डिलीवरी लागत में बढ़ोतरी कंपनियों को अपने ऑपरेटिंग मॉडल पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकती है और वे लागत नियंत्रण के लिए नई रणनीतियाँ अपना सकती हैं.

ऑफशोरिंग, नियरशोरिंग और AI में बढ़ेगा निवेश

यह प्रभाव कंपनी का अमेरिका में विस्तार, ऑनसाइट वर्कफोर्स मिक्स और नॉन-लोकल टैलेंट पर निर्भरता को देखते हुए अलग-अलग हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, क्योंकि एच-1बी लॉटरी और याचिकाएं आमतौर पर Q4-Q1 में होती हैं, इसलिए वित्त वर्ष 27 पिटीशन साइकल में इसका असर दिखने की संभावना है. इसके जवाब में, सेवा प्रदाताओं के ऑफशोरिंग को तेज करने, कनाडा और मैक्सिको में नियरशोर ऑपरेशन का विस्तार करने, भौगोलिक विविधता के लिए यूरोप और एपीएसी में अधिग्रहण करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ऑटोमेशन और एआई में निवेश करने की उम्मीद है.

ग्राहक बेहतर मूल्य और कार्यकुशलता की कर रहे मांग

भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) कंपनियों के लिए प्रतिभा का आकर्षण बढ़ सकता है, खासकर ऐसे समय में जब ऑनसाइट अवसर सीमित हो रहे हैं और ग्राहक बेहतर मूल्य और कार्यकुशलता की मांग कर रहे हैं. इससे भारत की भूमिका वैश्विक आईटी डिलीवरी में और अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है. हालांकि, भारत के इक्विटी बाजार में निकट अवधि में थोड़ी अस्थिरता देखी जा सकती है, लेकिन व्यापक रूप से बाजार मूल्यांकन अभी भी ऐतिहासिक औसत से ऊपर है. कमजोर मांग दृष्टिकोण के कारण पिछले 6–12 महीनों में आईटी सेक्टर के मूल्यांकन में गिरावट आई है.

घरेलू खपत में सुधार और निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी से भारतीय बाजार में कुल कॉर्पोरेट आय का आउटलुक बेहतर हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों के लिए अल्पकालिक चुनौतियां पैदा करते हैं बावजूद इसके भारत के मैक्रोइकॉनमिक आधार मजबूत बने हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 की दूसरी छमाही में अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते, मजबूत घरेलू मांग और कमाई में सुधार से मार्केट में आने वाली महीनों में सकारात्मक माहौल बन सकता है.

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