आने वाले वर्ष 2026 में भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे रहने की संभावना है. देश की जीडीपी में 6.6% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जबकि महंगाई दर करीब 4.2% के आसपास रह सकती है. यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई है. मास्टरकार्ड इकोनॉमिक्स इंस्टीट्यूट (MEI) की वार्षिक आर्थिक दृष्टि रिपोर्ट के अनुसार, यह तेज आर्थिक बढ़त मजबूत घरेलू मांग के चलते संभव होगी.
कमोडिटी कीमतों में आई गिरावट से मिलेगा समर्थन
इसे सरकार की अनुकूल ब्याज दर नीति, टैक्स सुधारों, जीएसटी में बदलाव और वैश्विक स्तर पर कमोडिटी कीमतों में आई गिरावट से समर्थन मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की युवा जनसंख्या, डिजिटल टेक्नोलॉजी का तेजी से इस्तेमाल और नई तकनीकों का विकास भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करता है. इससे छोटे शहरों (टियर-2 और टियर-3) और आईटी केंद्रों में रोजगार और विकास बढ़ेगा. पर्यटन भी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बना रहा है. गोवा, ऋषिकेश और अमृतसर जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर बढ़ती पर्यटक आवाजाही से स्थानीय निवासियों और छोटे कारोबारियों को सीधा लाभ मिल रहा है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तेजी से अपना रहा भारत
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तेजी से अपना रहा है और उसे एआई उत्साह सूचकांक में 8 अंक प्राप्त हुए हैं, जिससे कार्यक्षमता और उत्पादकता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी. वैश्विक स्तर पर वर्ष 2026 में आर्थिक विकास दर 3.1% रहने का अनुमान जताया गया है, जो 2025 की 3.2% वृद्धि से मामूली कम होगी. रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकें और सरकारी खर्च आर्थिक गतिविधियों को सहारा देंगे, हालांकि इसका लाभ सभी देशों को समान रूप से नहीं मिल पाएगा.
वैश्विक व्यापार में एशिया-प्रशांत की मजबूती
मास्टरकार्ड के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री डेविड मान ने कहा कि वैश्विक व्यापार में अपनी अहम भूमिका को बनाए रखते हुए एशिया-प्रशांत क्षेत्र ने उस दौर में भी मजबूत लचीलापन दिखाया है, जब टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं और बदलती सप्लाई चेन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने का खतरा पैदा किया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि व्यापारिक बदलावों और नई चुनौतियों के बावजूद एशिया-प्रशांत क्षेत्र वैश्विक व्यापार में मजबूती से टिका हुआ है. इसमें भारत, दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के देश और चीन सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.