भारत घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ाने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है. चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन को 1.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 2029 तक इसे बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपए करने की योजना है. इससे भारत की पहचान एक वैश्विक रक्षा निर्माण केंद्र के रूप में और मजबूत होगी. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए देश ने FY24-25 में 1.54 लाख करोड़ रुपए का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जो कि अब तक का सर्वाधिक रक्षा उत्पादन है.
केंद्र के अनुसार, देश का स्वदेशी रक्षा उत्पादन FY14-15 के 46,429 करोड़ रुपए की तुलना में 174 प्रतिशत की शानदार वृद्धि के साथ FY23-24 में रिकॉर्ड 1,27,434 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. बीते कुछ वर्षों में रक्षा बजट में भी वृद्धि दर्ज की गई है. देश का रक्षा बजट 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 6.81 लाख करोड़ रुपए तक आ गया है.
आधिकारिक बयान के अनुसार, देश के कुल रक्षा उत्पादन में डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (डीपीएसयूज) और दूसरे पीएसयू की 77% हिस्सेदारी है. निजी क्षेत्र का योगदान कुल रक्षा उत्पादन में 23 प्रतिशत है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में यह हिस्सा 21% था. यानी सिर्फ एक वर्ष में इसमें 2% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. रक्षा निर्यात के मामले में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है.
आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, भारत वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया सहित 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है. देश का रक्षा निर्यात जहाँ FY13-14 में केवल 686 करोड़ रुपए था, वहीं FY24-25 में यह बढ़कर 23,622 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है. भारत की बढ़ती उत्पादन क्षमता का उदाहरण यह है कि 2024-25 में देश ने करीब 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, सब-सिस्टम, पूर्ण सिस्टम और अहम घटकों जैसे विविध रक्षा उत्पादों का निर्यात किया.
यह दर्शाता है कि भारत धीरे-धीरे ग्लोबल डिफेंस सप्लाई चेन में एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभर रहा है. डिफेंस सेक्टर की यह उपलब्धि पीएम मोदी की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली सशक्त नीतिगत पहलों का परिणाम है. देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम लगातार भारत के मिलिट्री इंडस्ट्रियल बेस को मजबूत बना रहे हैं.