भारत FY26 में रिकॉर्ड 1.15 बिलियन टन कोयला उत्पादन करने के लिए तैयार: Report

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत FY25-26 में 1.15 बिलियन टन का रिकॉर्ड कोयला उत्पादन (Coal Production) हासिल करने की राह पर है. शनिवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. CareAge Ratings द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, देश का घरेलू कोयला उत्पादन FY25 में 1,047.6 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया, जो पिछले पांच वर्षों में 10% की औसत वार्षिक दर से बढ़ रहा है. यह वृद्धि कोयला खनन को अधिक कुशल और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नीतिगत सुधारों की एक सीरीज के तहत देखी जा रही है.
सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम, माइन डेवलपर और ऑपरेटर (MDO) मॉडल, कोयला खनन में 100% FDI की अनुमति और कोयला ब्लॉकों की नियमित नीलामी जैसी प्रमुख सरकारी पहलों ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद की है. खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन ने भी नियामक बाधाओं को दूर करने और प्राइवेट प्लेयर्स को आकर्षित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है.
कोयला उत्पादन में वृद्धि बिजली क्षेत्र की बढ़ती मांग के कारण हुई है, जिसका FY25 में कुल कोल डिस्पैच में 82% हिस्सा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योगों, घरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की बढ़ती जरूरतों के कारण भारत की कुल कोयला खपत FY21 में 922.2 मिलियन टन से बढ़कर FY25 में 1,270 मिलियन टन हो गई. कुल खपत में घरेलू कोयले की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है, जो कि FY21 में 77.7% से बढ़कर FY25 में 82.5% हो गई.
आत्मनिर्भरता की ओर इस बदलाव को जनवरी तक 184 कोयला खदानों के आवंटन से समर्थन मिला है, जिनमें से 65 ब्लॉकों में उत्पादन शुरू हो चुका है. रिपोर्ट में कहा गया है, इन सक्रिय खदानों ने FY25 में लगभग 136.59 मिलियन टन उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34% से अधिक की वृद्धि दर्ज करता है. सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने FY25 में कुल उत्पादन में करीब 74% का योगदान दिया.
प्राइवेट और कैप्टिव माइनर्स ने भी बेहतर प्रदर्शन किया. मार्च में शुरू की गई कोयला ब्लॉक नीलामी के 12वें दौर में घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए 28 और खदानों की पेशकश की गई. इस बीच, बेहतर सप्लाई स्थितियों और सहायक सरकारी नीतियों के कारण कोयले की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह ट्रेंड वित्त वर्ष 2026 में जारी रहने की उम्मीद है, जिससे उद्योगों के लिए कोयला अधिक किफायती हो जाएगा.
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