India-UK Free Trade Agreement: द्विपक्षीय व्यापार में 2030 तक सालाना 15% की वृद्धि का अनुमान

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade) में 2030 तक सालाना लगभग 15% की वृद्धि होने की उम्मीद है. यह मुक्त व्यापार समझौता (FTA) एक वर्ष में लागू हो जाएगा. शुक्रवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में संपन्न मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारतीय कंपनियों को ब्रिटेन के बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में योगदान देने का रणनीतिक अवसर प्रदान करता है.
केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर डी नवीन कुमार (D Naveen Kumar) ने कहा, यह ऐतिहासिक एफटीए निवेश, संयुक्त उद्यम और सेवा क्षेत्र में सहयोग को भी बढ़ावा देता है, जिससे आर्थिक संबंध मजबूत होते हैं। यह समझौता भारत-ब्रिटेन आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, व्यवसाय के लिए नए अवसर खोलता है, विनिर्माण को मजबूत करता है और उपभोक्ता बाजारों को समृद्ध करता है।
वर्तमान में ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार मूल्य भारत के कुल व्यापार मूल्य का करीब 2% है, हालांकि यह पिछले दशक में 11% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से लगातार बढ़ रहा है. ब्रिटेन और भारत ने लगभग तीन वर्षों की बातचीत के बाद 6 मई को एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया. समझौते के तहत, भारत 10 वर्षों की अवधि में 90% ब्रिटिश वस्तुओं पर टैरिफ कम करेगा, जिसमें से 85% पूरी तरह से शुल्क मुक्त हो जाएंगे.
बदले में, ब्रिटेन ने कुछ उत्पादों पर अपने टैरिफ को कम करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के यूके को निर्यात किए जाने वाले 99 प्रतिशत निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा. रिपोर्ट में बताया गया है, भारतीय निर्यातकों के लिए एफटीए के कुछ लाभों में बाजार तक बेहतर पहुंच, स्थिर सप्लाई चेन, बढ़ी प्रतिस्पर्धा, अधिक मात्रा और विकास के नए रास्ते शामिल होंगे.
एफटीए से टैरिफ में कमी, व्यापार बाधाओं में ढील, बाजार में बेहतर पहुंच और भारतीय उत्पादों को अधिक मूल्य प्रतिस्पर्धी बनाकर भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे ब्रिटेन में उनकी मांग बढ़ेगी. इसके अतिरिक्त, इससे उन निर्यातकों को कुछ राहत मिली है, जो सुस्त बिक्री और अमेरिका से संभावित पारस्परिक टैरिफ के बारे में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं. ऑटोमोबाइल, व्हिस्की, औद्योगिक मशीनरी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में, टैरिफ में भारी कटौती और सरलीकृत विनियमों के माध्यम से महत्वपूर्ण लाभ होने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-ब्रिटेन एफटीए ब्रिटेन के समृद्ध उपभोक्ता आधार और अच्छी तरह से विकसित लक्जरी बाजार का लाभ उठाकर भारतीय रत्न और आभूषण निर्माताओं के लिए पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए तैयार है. विभिन्न विद्युत और इंजीनियरिंग वस्तुओं के लिए टैरिफ 8% से 14% तक हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-ब्रिटेन एफटीए के तहत इनके हटने से भारतीय निर्माता अन्य ग्लोबल सप्लायर्स पर स्पष्ट प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करने के लिए तैयार हैं.
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