केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) के पूर्व अध्यक्ष नजीब शाह (Najeeb Shah) ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे में बड़े बदलाव से उपभोक्ताओं के पास अधिक खर्च करने योग्य आय बचेगी. इससे न केवल समग्र उपभोग बढ़ेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में मांग को भी बढ़ावा मिलेगा. केंद्र सरकार मौजूदा चार जीएसटी स्लैब को घटाकर दो करने की दिशा में विचार कर रही है. प्रस्तावित ढांचे के तहत 5% और 18% टैक्स स्लैब रहेंगे, जबकि लग्जरी और ‘सिन गुड्स’ पर 40 प्रतिशत का विशेष टैक्स स्लैब लागू किया जा सकता है.
यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए गए उस बयान के बाद सामने आई है, जिसमें उन्होंने दिवाली तक जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार लागू करने की बात कही थी. पीएम मोदी ने आश्वासन दिया था कि इन सुधारों से आम आदमी को कर में राहत मिलेगी और छोटे व्यवसायों को भी बड़ा फायदा होगा. आईएएनएस से बातचीत में नजीब शाह ने कहा कि मौजूदा स्लैब को मिलाकर मध्यवर्ती दरें बनाई जा सकती हैं.
उन्होंने सुझाव दिया, “5% और 12% स्लैब को मिलाकर 7-8% का बीच का स्लैब बनाया जा सकता है.” “इसी तरह 12% और 18% स्लैब को मिलाकर 15-16% का नया स्लैब तय किया जा सकता है। मार्च 2026 में सेस हटने के बाद 28% की दर बढ़कर लगभग 30% हो सकती है.” शाह के अनुसार, कम टैक्स स्लैब से उपभोक्ताओं को अधिक खर्च करने का अवसर मिलेगा, जिससे मांग और खपत में तेजी आएगी. साथ ही, जीएसटी सुधारों से कीमतों में कमी, ऋण प्रवाह में सुगमता और विवादों में गिरावट देखने को मिलेगी, जिसका सीधा लाभ उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को होगा.
उन्होंने कहा कि इन सुधारों से लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) को भी बड़ी राहत मिलेगी. सरल कर दरें, कम अनुपालन बोझ और जीएसटी ढांचे के तहत आसान ऋण उपलब्धता, इन व्यवसायों को मजबूती देंगी. नजीब शाह ने इस कदम को “परिवर्तनकारी सुधार” बताते हुए कहा कि इससे भारत की कर प्रणाली मजबूत होगी, आर्थिक विकास को गति मिलेगी और देश की छवि एक वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में और सशक्त होगी. सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, वर्तमान में 12% कर वाली करीब 99% वस्तुएं 5% स्लैब में लाई जा सकती हैं. वहीं, 28% स्लैब में आने वाली लगभग 90% वस्तुएं (जिनमें व्हाइट गुड्स भी शामिल हैं) 18% स्लैब में स्थानांतरित कर दी जाएंगी.