अर्थशास्त्री और उद्योग जगत के विशेषज्ञ शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों के जारी होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमजोर संकेतों के बावजूद सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ सकती है. पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज कर चुकी है और विशेषज्ञों का मानना है कि आज जारी होने वाले आंकड़े इस बार भी भारतीय अर्थव्यवस्था के शानदार प्रदर्शन को दर्शाएंगे.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार के साथ विकास को मिलेगा बढ़ावा
मजबूत घरेलू मांग और मुद्रास्फीति के कम दबाव के कारण भारत के मैक्रोइकोनॉमिक आउटलुक को लेकर आशावाद बना हुआ है. एसबीआई की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत निवेश गतिविधियों, ग्रामीण उपभोग में सुधार और सर्विस, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार के साथ विकास को बढ़ावा मिलेगा. जीएसटी 2.0 सुधार निजी उपभोग और घरेलू मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण समझी जा रही है.
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास की गति तेज
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हम उपभोग और मांग, कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र और अन्य संकेतकों में 50 प्रमुख इंडिकेटर्स को ट्रैक कर रहे हैं, जो चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास की तेज गति की ओर इशारा कर रहे हैं. तेजी दिखाने वाले इंडिकेटर्स की संख्या पहली तिमाही के 70% से बढ़कर दूसरी तिमाही में 83% हो गई है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अनुमानित मॉडल के आधार पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी ग्रोथ 7.5-8% और ग्रॉस वैल्यू एडेड 8% रहने की संभावना है.
भारत का अल्पावधि में आउटलुक मजबूत
हालांकि, अस्थिर ग्लोबल कमोडिटी मार्केट और व्यापार व्यवधानों की वजह से जोखिम भी बना हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत का अल्पावधि में आउटलुक मजबूत बना हुआ है, जिसमें मैक्रोइकोनॉमिक स्टेबिलिटी लगातार मीडियम-टर्म ग्रोथ को सपोर्ट कर रही है. इस बीच, केयरएज इकोनॉमिक मीटर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.2% की वृद्धि दर्ज कर रहा है, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में दर्ज 3.3% की वृद्धि से थोड़ा कम है.

