चालू वित्त वर्ष में 6.5% की दर से बढ़ेगी भारत की GDP, औसत महंगाई दर में भी आएगी कमी: Crisil

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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क्रिसिल की ओर से सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) चालू वित्त वर्ष (FY26) में 6.5% की दर से बढ़ सकता है। इसकी वजह घरेलू खपत में सुधार होना और अन्य संकेतों का सकारात्मक होना है. क्रिसिल इंटेलिजेंस के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की ग्रोथ के लिए सबसे बड़ा जोखिम अमेरिकी टैरिफ के कारण पैदा हुई वैश्विक अस्थिरता है.
रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि, सामान्य से बेहतर मानसून, आयकर में राहत और आरबीआई एमपीसी की ब्याज दरों में कटौती से घरेलू खपत में सुधार से विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर सालाना आधार पर 7.4% रही, जो इससे पिछली तिमाही में 6.4% थी. इससे पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5% रही.
रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक होने के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति जून में घटकर 2.1% रह गई, जो 77 महीनों में सबसे कम है. रिपोर्ट में बताया गया, महंगाई के रुझान, सामान्य से बेहतर मानसून की भविष्यवाणी और वैश्विक स्तर पर तेल व कमोडिटी की कीमतों में नरमी की उम्मीद के आधार पर, हमारा अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4% रह जाएगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 4.6% थी.
रिपोर्ट में कहा गया कि इस वित्त वर्ष में आरबीआई की रेपो दर में एक और कटौती और उसके बाद एक ठहराव की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया, इस वित्त वर्ष में सकल बाजार उधारी 14.8 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 5.8% अधिक है. सरकार की योजना वित्त वर्ष की पहली छमाही में बजटीय उधारी का 54% पूरा करने की है.
मई तक राजकोषीय घाटा इस वित्त वर्ष के बजट लक्ष्य का 0.8% रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 3.1% से कम है। यह वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में अधिक राजस्व प्राप्तियों और कम राजस्व व्यय के कारण हुई है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चालू खाता घाटा (सीएडी) इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 1.3% रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 0.6% था.
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