भारत का जीवन बीमा उद्योग FY23-2035 के दौरान 14.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से आगे बढ़ने की उम्मीद है. यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई. वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी पीएल कैपिटल द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय जीवन बीमा उद्योग ने पिछले दो दशकों (FY2005 से FY2025) के दौरान 11% की CAGR से वृद्धि दर्ज की है और FY2025 तक इसका आकार बढ़कर 1,203 अरब रुपए तक पहुंच गया है.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाल ही में घोषित जीएसटी छूट से बीमा क्षेत्र में अफोर्डेबिलिटी (सुलभता) में सुधार होगा, जिससे पॉलिसी की निरंतरता और बीमा की पैठ में वृद्धि होने की संभावना है. यह दीर्घकालिक रूप से उद्योग की वृद्धि को मजबूती प्रदान करेगा. हालांकि, अल्पकालिक दृष्टिकोण से यह कुछ लाभप्रदता संबंधी चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि इस छूट के चलते बीमा कंपनियों की इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) तक पहुंच समाप्त हो जाएगी.
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि हाल के दशकों में बीमा क्षेत्र के निरंतर विस्तार के बावजूद, भारत में जीवन बीमा की पहुंच अब भी वैश्विक मानकों की तुलना में काफी कम बनी हुई है. बीमा क्षेत्र की FY24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.8% की हिस्सेदारी थी, यह विकसित बाजारों के औसत 5.6% से काफी कम है. इसी प्रकार, भारत में बीमा घनत्व प्रति व्यक्ति मात्र 70 डॉलर रहा, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह 3,182 डॉलर था.
रिपोर्ट में बताया गया कि यह अंतर उद्योग के लिए एक बहु-दशकीय अवसर को उजागर करता है, खासकर जब परिवार वित्तीय साधनों में अपनी बचत का अधिक हिस्सा आवंटित कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि नॉमिनल जीडीपी के सालाना 10.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है, साथ ही बढ़ती वित्तीय जागरूकता के साथ, जीवन बीमा भारत की घरेलू बैलेंस शीट का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनकर उभरेगा. रिपोर्ट के अनुसार, संरचनात्मक कारक जैसे सामाजिक सुरक्षा जाल का अभाव, बढ़ता मध्यम वर्ग और बढ़ती जीवन प्रत्याशा सुरक्षा और वार्षिकी उत्पादों की मांग को बढ़ावा देंगे.
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ऐतिहासिक रूप से, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) ने उत्पाद मिश्रण में अपना दबदबा बनाए रखा है, जिसे शेयर बाजार में तेजी और आकर्षक कर लाभों का लाभ मिला है. हालांकि, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ग्राहकों के नॉन-लिंक्ड विकल्पों की ओर रुझान बढ़ने के कारण यूलिप की हिस्सेदारी में नरमी आएगी. रिपोर्ट के अनुसार, सूचीबद्ध बीमा कंपनियों में यूलिप की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है (FY25 में 35-65%), जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 16-55% थी).
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