भारत में पॉलीविनाइल क्लोराइड (Polyvinyl Chloride) रेजिन की मांग FY27 तक 8% बढ़कर 5.5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) तक पहुंचने की उम्मीद है. गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. FY20-2025 के दौरान पीवीसी रेजिन (PVC Resin) की मांग में 6.2% की सीएजीआर वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वित्त वर्ष में 4.7 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) तक पहुंच गई. केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुकूल सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित एंड-यूजर इंडस्ट्री से मजबूत मांग की वजह से यह वृद्धि देखी जा रही है.
भारत की पीवीसी की कुल मांग में से 95 प्रतिशत सस्पेंशन पीवीसी रेजिन से जुड़ी है और बाकी की 5% पेस्ट पीवीसी रेजिन से जुड़ी है. केयरएज रेटिंग्स के सहायक निदेशक रोहन देशमुख ने कहा, वित्त वर्ष 2027 तक 2.5 एमएमटी की आगामी घरेलू क्षमता में वृद्धि से मौजूदा उत्पादन स्तर दोगुना से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे आयात पर निर्भरता औसतन 1.4 एमएमटी रह जाएगी. देशमुख ने आगे कहा, बीआईएस गुणवत्ता मानकों के लागू होने और सस्पेंशन पीवीसी रेजिन पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगने की संभावना के कारण कम कीमत वाले आयातों पर रोक लग सकती है,
जिससे घरेलू कीमतों में सुधार होगा और पीवीसी-ईडीसी स्प्रेड वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में करीब 500 डॉलर/एमटी तक बढ़ सकता है. प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सरप्लस कैपेसिटी और कमजोर मांग के परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में सस्ते पीवीसी की पर्याप्त डंपिंग हुई, जिसने घरेलू पीवीसी कीमतों पर दबाव डाला और पीवीसी-ईडीसी (एथिलीन डाइक्लोराइड) प्रसार में कमी आई, जिससे भारत के पीवीसी प्लेयर्स की लाभप्रदता प्रभावित हुई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मांग में निरंतर कमी और वर्तमान व्यापार युद्ध के बीच, वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में पीवीसी-ईडीसी प्रसार 400डॉलर/एमटी से नीचे रहने की उम्मीद है. हालांकि, पीवीसी रेजिन के आयात के लिए बीआईएस गुणवत्ता मानकों के जून 2025 के अंत से प्रभावी होने और सस्पेंशन पीवीसी रेजिन के आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाए जाने की संभावना के साथ वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में पीवीसी-ईडीसी प्रसार में सुधार होकर 500 डॉलर/एमटी होने की उम्मीद है.