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भारत का रियल एस्टेट सेक्टर 2047 तक 5-10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि वर्तमान में इसका आकार लगभग 0.3 ट्रिलियन डॉलर है. कोलियर्स-सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार, 2047 तक रियल एस्टेट का देश की जीडीपी में योगदान 14-20% तक होगा और यह भारत के विकास का प्रमुख आधार बनेगा. रियल एस्टेट @2047: भारत के भविष्य के विकास गलियारों का निर्माण शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में छोटी अवधि के रुझानों और मुख्य क्षेत्रों जैसे आवासीय, कार्यालय, खुदरा, औद्योगिक और वेयरहाउसिंग के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास, को-लीविंग और डेटा सेंटर्स जैसे उभरते अल्टरनेटिव एसेट क्लास के बारे में बताया गया है.
इनमें से अधिकतर रुझानों को सरकार द्वारा संचालित सुधार और नीतिगत पहलों और तेज शहरीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि और तकनीकी संचालित इनोवेशनों से सपोर्ट मिल रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये विकास इंजन मिलकर एक गुणक प्रभाव पैदा कर रहे हैं. रियल एस्टेट एसेट्स रोजगार और मांग बढ़ा रहे हैं, संस्थागत पूंजी को आकर्षित कर रहे हैं और देशभर में विकास के नए अवसर खोल रहे हैं. तेज शहरीकरण और बदलती जनसांख्यिकी का सबसे अधिक प्रभाव आवासीय क्षेत्र पर देखने को मिलेगा.
वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों को बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर-आधारित कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण से लाभ होगा, जो टियर II और III शहरों में ऑफिस सेंटर्स और मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के विकेंद्रीकरण का समर्थन करेगा. सीआईआई कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की उप सचिव, हरलीन कौर ने कहा: भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार रियल एस्टेट परिदृश्य को नया रूप दे रहा है, नए विकास गलियारों को खोल रहा है और टियर II और III शहरों का कायाकल्प कर रहा है.
रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर दो महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जो एक-दूसरे को मजबूत करने का काम करते हैं. एक्सप्रेसवे और औद्योगिक गलियारे कनेक्टिविटी को तेजी से बढ़ाएंगे और यह शहरी विकास को गति देंगे और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य आर्थिक हॉटस्पॉट का निर्माण करेंगे.