भारत के रिटेल एसेट सिक्योरिटाइजेशन मार्केट ने FY26 की पहली तिमाही में 6% की वृद्धि की दर्ज: Report

Shivam
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भारत में रिटेल एसेट सिक्योरिटाइजेशन मार्केट (Retail Asset Securitization Market) ने FY26 की पहली तिमाही में लगातार वृद्धि दर्ज की है, जिसमें कुल लेनदेन मात्रा 52,000 करोड़ रुपए रही. केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें पास-थ्रू सर्टिफिकेट (PCT) जारी करना और डायरेक्ट असाइनमेंट ट्रांजेक्शन दोनों शामिल हैं. यह मात्रा पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6% की वृद्धि दर्शाती है.
इसके बावजूद, बाजार की स्थिरता एक सकारात्मक संकेत है, जो ऋण की मजबूत मांग, निवेशकों के विश्वास और अपने फंडिंग स्रोतों में विविधता लाने के लिए प्रवर्तकों के रणनीतिक प्रयासों से प्रेरित है. FY26 की पहली तिमाही में सबसे महत्वपूर्ण मील के पत्थरों में से एक भारत का पहला रेजिडेंशियल मॉर्गेज-बैक्ड सिक्योरिटाइजेशन (आरएमबीएस) डील पूरी होनी थी, जो आरएमबीएस डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RDCL) द्वारा किया गया था.
यह सौदा इलेक्ट्रॉनिक बुक प्रोवाइडर (Electronic book providers) प्लेटफॉर्म पर किया गया पहला सिक्योरिटाइजेशन ट्रांजेक्शन भी था, जो भारत के सिक्योरिटाइजेशन मार्केट में एक नया अध्याय जोड़ता है. यह ट्रांजेक्शन आरएमबीएस सेक्टर में अधिक निवेशकों के प्रवेश के लिए कैटेलिस्ट का काम कर सकता है, जिससे संभावित रूप से मॉर्गेज-बैक्ड सिक्योरिटी डील में इनोवेशन और भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा.
इस कदम से लॉन्ग-टर्म फंडिंग अवसर पैदा होने और बेहतर जोखिम हस्तांतरण की सुविधा मिलने की उम्मीद है. FY26 की पहली तिमाही में लेनदेन संरचना को लेकर एक बदलाव देखा गया. पीटीसी ट्रांजेक्शन (PTC Transaction) अब कुल मात्रा का 56% है, जो पिछली अवधियों की तुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाता है, जब डायरेक्ट असाइनमेंट (डीए) लेनदेन अधिक प्रमुख थे.
पीटीसी निर्गमों में, एसेट-बैक्ड सिक्योरिटाइजेशन (Asset-Backed Securitization) उत्पादों का प्रमुख योगदान रहा, जिनकी कुल मात्रा में लगभग 75% हिस्सेदारी रही. दूसरी ओर, मॉर्गेज-बैक्ड सिक्योरिटाइजेशन (Mortgage-Backed Securitization) 10% पर स्थिर रहा। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में एक प्रमुख विशेषता माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन (Microfinance Institution) द्वारा पीटीसी निर्गमों में वृद्धि रही.
MFI ने कुल पीटीसी मात्रा में 15% का योगदान दिया, जो FY25 की पहली तिमाही के 8% से शानदार वृद्धि है. एबीएस कैटेगरी में व्हीकल लोन फाइनेंसिंग एक प्रमुख प्लेयर बना रहा, जिसने FY26 की पहली तिमाही में 14,600 करोड़ रुपए से अधिक या कुल पीटीसी निर्गमों में 51% का योगदान दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें कमर्शियल ट्रक, पैसेंजर कार, दोपहिया वाहन और कंस्ट्रक्शन उपकरण जैसे विभिन्न प्रकार के वाहनों द्वारा समर्थित ऋण शामिल हैं.
हालांकि, वाहन ऋणों की हिस्सेदारी पिछली तिमाहियों की तुलना में कम हुई है, क्योंकि असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण, व्यावसायिक ऋण और स्वर्ण ऋण जैसे अन्य परिसंपत्ति वर्गों ने लोकप्रियता हासिल की है. कुल पीटीसी जारी करने में अकेले असुरक्षित ऋणों का हिस्सा 15% था, जो इन अलटर्नेटिव रिटेल क्रेडिट सेगमेंट में निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है. डीए सेगमेंट में, मॉर्गेज-बैक्ड ट्रांजैक्शन का दबदबा बना रहा, जो FY25 में कुल डीए मात्रा का 67% था. रिपोर्ट में कहा गया है कि एसेट-बैक्ड डीए ट्रांजेक्शन का हिस्सा 26% था.
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