ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मुनाफा इस वित्त वर्ष में लगभग 50% बढ़कर 18-20 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँचने की संभावना है, जो पिछले वित्त वर्ष में 12 डॉलर प्रति बैरल था. यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई. क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑपरेटिंग मुनाफे में यह बढ़त मजबूत मार्जिन, खुदरा ईंधन की स्थिर कीमतें और कच्चे तेल की सकारात्मक गतिशीलता के कारण हुई है. पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर मार्केटिंग मार्जिन में बढ़ोतरी से रिफाइनिंग मार्जिन में आई कमी की भरपाई होने की उम्मीद है. साथ ही, दुनिया के बड़े देश क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे जीवाश्म ईंधन की मांग में वृद्धि हो रही है.
क्रेडिट प्रोफाइल रहेगी मजबूत
रिपोर्ट में बताया गया कि अच्छे नकदी प्रवाह से ओएमसी के पूंजीगत खर्च को सपोर्ट मिलता रहेगा और इससे क्रेडिट प्रोफाइल भी मजबूत रहेगी. एनालिस्ट का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतें इस वित्त वर्ष में 65-67 डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है. वहीं, ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन 4-6 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है. क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा, ईंधन की खुदरा कीमतें नहीं बदलने से मार्केटिंग मार्जिन बढ़कर 14 डॉलर प्रति बैरल (8 रुपए प्रति लीटर) हो जाएगा, जिससे कुल मार्जिन 50 प्रतिशत बढ़कर 18-20 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के अनुसार, अच्छे मार्जिन के चलते इस वित्त वर्ष में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) की नकद प्राप्ति 75,000 से 80,000 करोड़ रुपए के बीच रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 55,000 करोड़ रुपए थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे OMCs के 90,000 करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्च के प्लान को मजबूती मिलेगी, जिसमें अधिकांश विस्तार ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट्स के लिए होगा. इसके साथ ही, इस वित्त वर्ष OMC का डेट-टू-EBITDA अनुपात 2.2 गुना तक पहुँच सकता है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 3.6 गुना था.