वैश्विक अनिश्चितता के बीच RBI ने निर्यातकों की मदद के लिए फॉरेक्स नियमों को किया सरल

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को निर्यातकों के लिए फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट नियमों को सरल बनाने की घोषणा की है. इसके तहत, विदेशी मुद्रा आय की वापसी की समय-सीमा में ढील दी गई है. RBI के आधिकारिक बयान के अनुसार, यदि निर्यातक भारत में स्थित इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर (IFSC) में फॉरेन करेंसी अकाउंट रखते हैं, तो अब उन्हें फॉरेन एक्सचेंज की वापसी के लिए तीन महीने का समय मिलेगा.

निर्यात में बढ़ेगी सहूलियत

अभी यह अवधि सिर्फ एक महीने की थी. इस बदलाव का उद्देश्य निर्यातकों को आईएफएससी बैंकिंग यूनिट्स में खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे न केवल निर्यात में सहूलियत बढ़ेगी बल्कि IFSC में विदेशी मुद्रा की तरलता भी मजबूत होगी. आरबीआई ने यह भी कहा है कि नियमों में किए गए संशोधन को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा. जनवरी 2025 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय निर्यातकों को निर्यात आय प्राप्त करने के लिए भारत के बाहर किसी बैंक में फॉरेन करेंसी अकाउंट खोलने की अनुमति दी थी.

चुनौतियों से निपटने में मिलेगी मदद

इन खातों में जमा धनराशि का उपयोग आयात भुगतान के लिए किया जा सकता है या धनराशि प्राप्ति की तिथि से अगले महीने के अंत तक वापस भेजी जा सकती है. इसके अलावा, मर्चेटिंग ट्रे़ड ट्रांजेक्शन (MTT) के लिए अब विदेशी मुद्रा व्यय की अवधि चार महीने से बढ़ाकर छह महीने करने का निर्णय लिया गया है. इस छूट से भारतीय व्यापारियों को मुनाफा बनाए रखते हुए अपने व्यावसायिक लेनदेन को कुशलतापूर्वक पूरा करने में आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है.

नियमों में संशोधन जल्द ही किए जाएंगे अधिसूचित

आरबीआई ने कहा, नियमों में संशोधन जल्द ही अधिसूचित किए जाएंगे. यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि व्यापार में वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है, जिससे भारतीय व्यापारियों के लिए समय पर अपने कॉन्ट्रैक्ट के दायित्वों को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है. आरबीआई ने भारत में ब्रांच ऑफिस, कॉन्टैक्ट ऑफिस, प्रोजेक्ट ऑफिस या किसी अन्य व्यावसायिक स्थान की स्थापना के लिए विनियमों को युक्तिसंगत बनाने की भी घोषणा की. 2016 में रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए मौजूदा विनियमों की व्यापक समीक्षा की गई है.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि संशोधित विनियम सिद्धांत-आधारित हैं और बैंकों को अधिक शक्तियां प्रदान करने और अनुपालन भार को कम करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे भारत में व्यापार करने में आसानी और बढ़ेगी. मसौदा विनियम जल्द ही जारी किए जाएंगे.

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