अगर लेना चाहते हैं सपनों का घर, तो जान लें ये नियम, वरना हो सकती है मुसीबत

लखनऊ: (UP Rera Act and Rules) आम तौर पर सभी अपनी छोटी सी जिंदगी में एक सपनों का प्यारा सा घर बनाना चाहते हैं. कई बार लोग नियम कानून को जाने बगैर ऐसा करना लोगों को मुसीबत में डाल देता है. अगर आप भी अपने परिवार के लिए अपार्टमेंट में फ्लैट लेने की सोच रहे हैं, तो नियम जरूर जान लें, ताकि बाद में पछताना न पड़े.

इस मामले में यूपी रेरा और उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट के विशेषज्ञ राजेश मेहतानी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र में फ्लैट लेने से पहले ये देख लेना चाहिए कि जिस योजना में फ्लैट लेने की सोच रहे हैं, वह अपार्टमेंट या प्रोजेक्ट यूपी रेरा (Real Estate Regulatory Authority) में पंजीकृत है अथवा नहीं.

जानिए कैसे कर सकते हैं चेक
अपनी संतुष्टि के लिए आप प्रोजेक्ट को पहले अच्छे से चेक करें. हर प्रोजेक्ट के ब्रोशर पर एक नंबर पंजीकृत होता है. उस नंबर को आप यूपी रेरा की वेबसाइट www.up.rera.in पर जाकर चेक करें. नंबर डालने पर उस प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी जानकारी खुलकर सामने आ जाएगी. यहां आप बिल्डर और प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी जानकारी अच्छे से चेक कर लें.

इनफॉरमेशन चेक करने के दौरान ये जरूर देखें कि जिस प्रोजेक्ट में आप फ्लैट लेना चाहते हैं. उस बिल्डर के पिछले 5 साल में कितने प्रोजेक्ट थे जो सफल रहे. साथ ही अब तक उसने कितने अपार्टमेंट बनाए हैं. किस योजना का काम अधूरा है. यहां आप प्रोजेक्ट में प्रयोग की गई जमीन की भी जानकारी ले सकते हैं. यहां आपको पता चल जाएगा की जमीन बिल्डर के नाम है या नहीं है. जमीन पर कोई लोन तो नहीं.

दरअसल, यह वेबसाइट काफी सटीक जानकारी देती है. इस वजह से धोखाधड़ी न के बराबर होता है. बता दें की वेबसाइट पर, जो डिक्लेरेशन बिल्डर ने दिया है, वह केवल जनता ही नहीं सरकार के लिए भी होती है. इसलिए किसी विवाद की स्थिति में फ्लैट लेने वाला व्यक्ति रेरा कोर्ट जा सकते हैं. ताकि उसके साथ न्याय हो.

केवल फ्लैट नहीं जमीन में भी हिस्सा
इस मामले के विशेषज्ञ राजेश मेहतानी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यदि फ्लैट लेने वाले व्यक्ति का किसी दुर्घटना में फ्लैट या अपार्टमेंट गिरता है, तो जमीन में भी हिस्सा होता है. इसके आकलन के कुछ तरीके हैं. जैसे आपके फ्लैट के कार्पेट एरिया के अनुसार गणना होती है. इसके बाद संबंधित बिल्डिंग के नीचे की जो जमीन है, उसे सामूहिक रूप से लोगों को समानुपात में दे दिया जाता है. लोग इसका क्लेम भी कर सकते हैं.

क्या है यूपी रेरा एक्ट
राजेश मेहतानी की मानें, तो रियल एस्टेट में पहले इतनी पारदर्शिता नहीं थी. मनमानी चलती थी. कोई नियम नहीं पता था. दरअसल, सरकार ने साल 2016 में रेरा एक्ट बनाया. ये एक केंद्रीय एक्ट है. इस एक्ट को साल 2017 में पूरे देश में लागू किया गया. इसमें सरकारी अपार्टमेंट और प्राइवेट अपार्टमेंट सभी शामिल हैं. इस एक्ट का उद्देश्य ग्राहकों या खरीदारों के हितों की सुरक्षा करना और पारदर्शिता लाना है.

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