Bangladesh: बांग्लादेश के चर्चित छात्र नेता और इंकिलाब मंचो के संयोजक शरीफ उस्मान हादी की हत्या की घटना के बाद देश की राजनीति में भूचाल आ गया है. मृतक के भाई ओमर हादी ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके भाई की हत्या आगामी राष्ट्रीय चुनावों को पटरी से उतारने के लिए कराई गई. ओमर हादी का दावा है कि सत्ता में बैठे लोगों के एक गुट ने जानबूझकर इस हत्या को अंजाम दिया, ताकि चुनावी माहौल को अस्थिर किया जा सके और राजनीतिक लाभ उठाया जा सके.
‘आपने उसे मरवाया…’
ढाका के शाहबाग इलाके में राष्ट्रीय संग्रहालय के सामने आयोजित शहीदी शपथ कार्यक्रम में बोलते हुए ओमर हादी ने सरकार पर तीखा हमला बोला. बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह आप ही हैं, जिन्होंने उस्मान हादी को मरवाया और अब उसी मुद्दे को लेकर चुनाव बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के भीतर मौजूद एक खास गुट ने साजिश रचकर इस हत्या को अंजाम दिया. मालूम हो कि उस्मान हादी आगामी 12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में उम्मीदवार थे. ओमर हादी का यह भी आरोप है कि उनके भाई की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि उन्होंने किसी भी एजेंसी या विदेशी आकाओं के आगे झुकने से इनकार कर दिया था.
यूनुस सरकार को ओमर हादी की चेतावनी
ओमर हादी ने अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके भाई के हत्यारों को जल्द सजा नहीं दी गई, तो यूनुस सरकार का अंजाम भी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना जैसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि हत्यारों पर जल्द मुकदमा चलाएं, ताकि चुनावी माहौल खराब न हो. सरकार अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं दिखा पाई है. अगर उस्मान हादी को न्याय नहीं मिला, तो आपको भी एक दिन बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा.
मस्जिद से निकलते समय मारी गई थी गोली
मालूम हो कि 32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी पर ढाका में एक मस्जिद से बाहर निकलते समय गोली चलाई गई थी. गंभीर रूप से घायल हादी को उपचार के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां 19 दिसंबर को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. उनकी हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया और राजधानी ढाका सहित कई इलाकों में तनाव की स्थिति बन गई.
2024 के आंदोलन का नेतृत्व किया था उस्मान हादी ने
उस्मान हादी उन प्रमुख छात्र नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने 2024 में हुए जन आंदोलन का नेतृत्व किया था. इसी आंदोलन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को अगस्त 2024 में पद छोड़कर भारत भागना पड़ा था, जहां वे फिलहाल निर्वासन में हैं.

