UP में स्कूलों के मर्जर के खिलाफ याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने योगी सरकार के फैसले को सही ठहराया

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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UP School Merger: उत्तर प्रदेश में 5000 स्कूलों के मर्जर पर रोक लगाने से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इंकार कर दिया. अदालत ने यूपी सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए 51 बच्चों की याचिका खारिज कर दी. सीतापुर के बच्चों की तरफ से दायर की गई याचिका में स्कूलों के मर्जर पर रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन अदालत ने ऐसा करने से इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने योगी सरकार के फैसले को सही ठहराया. इसके बाद राज्य के 5000 स्कूलों के मर्जर का रास्ता साफ हो गया है.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने 5000 ऐसे स्कूलों की पहचान की है, जहां बच्चों की संख्या बेहद कम है. इन स्कूलों को दूसरे स्कूल में मर्ज कर दिया जाएगा. वहीं, पुराने स्कूल को बंद कर दिया जाएगा. जिस स्कूल में कम बच्चे पढ़ते हैं, उस स्कूल के बच्चों का दूसरे स्कूल में एडमिशन किया जाएगा.

यूपी सरकार ने 16 जून को जारी किया था आदेश

यूपी सरकार ने 16 जून को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जिन प्राथमिक स्कूलों में कम बच्चे पढ़ते हैं, उन्हें पास के उच्च प्राथमिक स्कूल में समायोजित कर दिया जाएगा. सरकार के इस फैसले का विपक्ष ने विरोध किया. सीतापुर और पीलीभीत में इस फैसले के खिलाफ याचिका भी दायर की गई, लेकिन अदालत ने इस फैसले को सही ठहराया है.

विरोध करने वालों का क्या है कहना?

यूपी में स्कूल मर्जर के खिलाफ याचिका दायर करने वाले लोगों का कहना है कि सरकार का यह आदेश बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करता है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच भी प्रभावित होगी. याचिकाकर्ता का कहना था कि इससे छोटे बच्चों के स्कूल उनके घर से दूर हो जाएंगे और उन्हें स्कूल आने-जाने में दिक्कत होगी. याचिका पर जोर दिया गया था कि इन स्कूलों का मर्जर 6-14 साल के बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है. वहीं, सरकार का कहना था कि स्कूलों का मर्जर संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए किया जा रहा है. सरकार ने 18 ऐसे स्कूलों का हवाला दिया था, जहां कोई छात्र नहीं है. कोर्ट ने शुक्रवार (4 जुलाई) को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और सोमवार को फैसला सुनाया.

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