Nepal Protest: नेपाल में युवा इस कदर आक्रोशित हो गए है कि हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं. राजधानी काठमांडू की सड़कों पर भारी गुस्से के बीच युवाओं का हुजूम दिखाई दे रहा है. प्रदर्शनकारियों द्वारा जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं. काठमांडू ही नहीं, नेपाल के अन्य शहरों में इस विरोध-प्रदर्शन की आग फैलती जा रही है. खबर में हम आपको ये आगे बताएंगे कि आखिरकार युवा किस वजह से इस कदर आक्रोशित हैं और नेपाल में उग्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन उससे पहले ताजा घटनाक्रम के बारे में जानिए.
नेपाल में ये क्या हो रहा है?
नेपाल में हजारों की संख्या में युवा काठमांडू सहित कई शहरों में सड़क पर उतरकर जबरदस्त प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन के दौरान हालात इस कदर बेकाबू हो गए कि आक्रोशित प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर तक में घुस गए. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पानी की बौछार की और फिर आंसू गैस के गोले दागे. इस दौरान आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए कई स्थानों पर पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दी. विरोध को देखते हुए काठमांडू के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. प्रदर्शन के दौरान कई लोग घायल हुए हैं. वहीं, गोली लगने से 14 लोगों की मौत भी खबर सामने आई है. 150 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं.
प्रशासन ने काठमांडू में कई इलाकों में लगाया कर्फ्यू
बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रशासन ने काठमांडू में कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है. कर्फ्यू न्यू बानेश्वर चौक से पश्चिम की ओर एवरेस्ट होटल और बिजुली बाजार आर्च ब्रिज तक और न्यू बानेश्वर चौक से पूर्व की ओर मिन भवन और शांतिनगर होते हुए टिंकुने चौक तक लागया गया है. कर्फ्यू न्यू बानेश्वर चौक से उत्तर की ओर आईप्लेक्स मॉल होते हुए रत्न राज्य माध्यमिक विद्यालय तक और दक्षिण की ओर शंखमुल होते हुए शंखमुल ब्रिज तक भी लागू है.
जाने नेपाल में क्यों मचा बवाल
मालूम हो कि नेपाल में प्रदर्शन सोशल मीडिया पर बैन, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ है. नेपाल सरकार की तरफ से फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप और यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इससे युवा भड़क गए हैं. इन युवाओं ने 8 सितंबर से Gen-Z रिवोल्यूशन के नाम से प्रदर्शन शुरू किया है. सरकार के इस फैसले से आक्रोश में विरोध इस कदर बढ़ता जा रहा है कि हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं.
नेपाल सरकार ने क्या किया?
नेपाल की केपी ओली सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वाट्सएप, रेडिट और एक्स जैसे 26 सोशल मीडिया एप पर बैन लगा दिया था. नेपाल सरकार की तरफ से इस तरह का कदम उठाए जाने के बाद लोग भड़क गए हैं. नेपाल में सरकार के इस कदम का विरोध पत्रकारों, वकीलों सहित अन्य संगठनों ने भी किया है. लोगों ने प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर क्यों लगा बैन?
नेपाल में जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाया गया है, वो निर्धारित समय सीमा के भीतर संबंधित मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों को रजिस्ट्रेशन के लिए 28 अगस्त से 7 दिन का समय दिया गया था. नोटिस में कहा गया है कि बुधवार रात समय सीमा समाप्त होने तक किसी भी बड़े सोशल मीडिया मंच, जिनमें मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और लिंक्डइन शामिल हैं, ने पंजीकरण संबंधी आवेदन जमा नहीं किया था.
क्या बोले नेपाल के पीएम ओली?
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पहले ही अपनी सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कह चुके हैं कि देश को कमजोर किए जाने का प्रयास किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ओली ने हाल ही में एक सम्मेलन के दौरान कहा था कि सरकार राष्ट्र को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को ऐसी ‘कठपुतलियां’ बताया था, जो केवल विरोध के लिए विरोध करती हैं.