Tehran: ईरान की सेना ने लिया बदला, 13 इस्लामिक चरमपंथियों को मार गिराया

Ved Prakash Sharma
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

तेहरान: ईरान की सेना ने अपना बदला ले लिया है. देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में ईरान के सुरक्षा बलों ने बुधवार को तीन अलग-अलग अभियानों के दौरान 13 इस्लामिक चरमपंथियों को मार गिराया. सरकारी टेलीविजन की रिपोर्ट के मुताबिक, मारे गए चरमपंथियों में से आठ उन हमलावरों में शामिल थे, जिन्होंने पिछले शुक्रवार को गश्त कर रहे पांच पुलिसकर्मियों की हत्या की थी.

जैश अल-अदल से जुड़े थे आतंकी

ईरान ने इस हमले के लिए जैश अल-अदल नामक चरमपंथी संगठन को जिम्मेदार ठहराया है. यह संगठन बलूच अल्पसंख्यक समुदाय के नाम पर ईरान में सक्रिय है और कथित रूप से अधिक अधिकारों की मांग करता है. हालांकि, ईरानी सरकार जैश अल-अदल को एक आतंकी संगठन मानती है, जो सीमा पार से मिल रहे समर्थन के दम पर हिंसक गतिविधियों को अंजाम देता है.

कई संदिग्ध चरमपंथी हिरासत में 

सरकारी टीवी रिपोर्ट के मुताबिक, यह झड़पें दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान के तीन अलग-अलग शहरों में हुईं. इन अभियानों के दौरान कई अन्य संदिग्ध चरमपंथियों को हिरासत में भी लिया गया है. हालांकि, उनकी सही संख्या का खुलासा नहीं किया गया है. इन अभियानों में ईरान के अर्धसैनिक बल ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड्स’ ने पुलिस के साथ मिलकर भाग लिया.

पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमाओं से सटा सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत लंबे समय से अस्थिरता और हिंसा का केंद्र बना हुआ है. यह इलाका न सिर्फ जातीय और सांप्रदायिक तनाव से जूझता है, बल्कि यहां हथियारबंद मादक पदार्थों के तस्करों, अलगाववादी गुटों और आतंकवादियों की गतिविधियां भी आम हैं. यहां समय-समय पर सुरक्षा बलों और उग्रवादी समूहों के बीच घातक झड़पें होती रहती हैं. यह क्षेत्र ईरान के सबसे कम विकसित प्रांतों में गिना जाता है, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की भारी कमी है. इस सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का फायदा उठाकर कई चरमपंथी संगठन यहां अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहे हैं.

ईरान सरकार चला रही सुरक्षा अभियान

ईरानी सरकार लगातार इस क्षेत्र में सुरक्षा अभियान चला रही है। ताकि सीमावर्ती इलाकों में चरमपंथ और तस्करी पर लगाम लगाई जा सके. बुधवार की कार्रवाई को सरकार ने एक “बड़ी सफलता” बताया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि जब तक क्षेत्रीय असमानताओं को दूर नहीं किया जाएगा, तब तक चरमपंथ की समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं होगी.

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