वैज्ञानिकों ने खोजा लिवर कैंसर का इलाज, एक साधारण सा फल बनेगा आपके लिए संजीवनी!

HealthTips: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में तेजी से बढ़ने वाली गंभीर बीमारी लिवर कैंसर का इलाज खोज लिया है, जो इस बीमारी से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने अमरूद पर एक नई रिसर्च की है, जिसमें इस फल के कई गुण सामने आए हैं, जो लिवर कैंसर के इलाज में सहायक हो सकते हैं. अमरूद और उसकी खास रेसिपी लिवर की सेहत के लिए एक नई उम्मीद बन सकती है.

मॉलिक्यूल्स की मदद से विकसित किया सस्ता इलाज

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर के शोधकर्ताओं ने अमरूद के पौधों से निकले मॉलिक्यूल्स की मदद से एक नया और सस्ता इलाज विकसित किया है. वैज्ञानिकों ने नेचुरल प्रोडक्ट टोटल सिंथेसिस नामक तकनीक का इस्तेमाल कर इन मॉलिक्यूल्स को लैब में दोबारा तैयार करने का आसान और किफायती तरीका खोजा है. इस तकनीक से बड़ी मात्रा में दवा उत्पादन संभव है और इसे दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक द्वारा फॉलो किया जा सकता है. प्रकृति में ऐसे हजारों पेड़-पौधे मौजूद हैं जिनसे बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है.

सैलिसिन से एस्पिरिन दवा बनना इसका प्रमुख उदाहरण

विलो ट्री की छाल से बनी सैलिसिन से एस्पिरिन दवा बनना इसका प्रमुख उदाहरण है. अमरूद का पेड़ भी अब लिवर कैंसर के इलाज में वरदान साबित हो सकता है. अमरूद मॉलिक्यूल का प्रयोग डेलावेयर यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने अमरूद के मॉलिक्यूल्स का इस्तेमाल कर लैब में उन्हें तैयार किया. इससे बड़ी मात्रा में दवाओं का उत्पादन संभव हुआ और मरीजों को सस्ती और असरदार दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी.

कैंसर दुनिया की सबसे कठिन बीमारियों में से एक

रिसर्च में पाया गया कि अमरूद से बने ये मॉलिक्यूल्स खासतौर पर लिवर और बाइल डक्ट कैंसर के खिलाफ असर दिखाते हैं. यह कैंसर दुनिया की सबसे कठिन बीमारियों में से एक है. लैब में मॉलिक्यूल्स तैयार करने से उनका असर जल्दी समझा जा सकता है और अन्य मौजूदा दवाओं के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है. इस खोज की सबसे बड़ी ताकत इसका कम खर्च और आसान उत्पादन है. नेचुरल प्रोडक्ट टोटल सिंथेसिस तकनीक से वैज्ञानिकों ने स्टेप-बाय-स्टेप तरीका विकसित किया, जिसे कोई भी शोधकर्ता फॉलो कर सकता है.

रिसर्च ने वैश्विक शोधकर्ताओं का ध्यान किया आकर्षित

इससे प्राकृतिक संसाधनों का भी सही उपयोग होगा और अधिक मरीजों तक दवाएं पहुंचेंगी. इस रिसर्च ने वैश्विक शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है. टीम नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर अमरूद मॉलिक्यूल के असर को अन्य प्रकार के कैंसर पर भी जांच रही है. इसके साथ ही लिवर कैंसर के इलाज के लिए प्री-क्लीनिकल स्टडीज भी जारी हैं. डेलावेयर यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च से दुनिया को किफायती और असरदार इलाज का रास्ता दिखा है.

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