50 Years Of Emergency: देश में आज का दिन हमेशा याद किया जाएगा. दरअसल आज ही के दिन यानि वर्ष 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल की घोषणा की थी. इसको आज भी याद किया जाता है. इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाता है. उस दिन भारतीय संविधान के मूल्यों को कुचला गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की आजादी खत्म कर दी गई और कई राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक जेल में डाल दिए गए. ऐसा लगा मानो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को ही कैद कर लिया था.
कांग्रेस पार्टी के नाम दर्ज है ये काला दिन
कांग्रेस इस दिन को कभी याद नहीं करना चाहती, लेकिन इतिहास के काले पन्नों में ये दिन कांग्रेस पार्टी के नाम दर्ज है. जिससे वो कभी भी पीछा नहीं छुड़ा सकती. आज भी हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर वो कौन सा कारण था जिस वजह से तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने ये कदम उठाया था. आइए जानते हैं इस काले दिन का इतिहास…
क्यों लगा था आपताकाल
दरअसल, कथित 12 जून 1975 का वो दिन था जब एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इंदिरा ने लोकसभा चुनाव में गलत तौर-तरीके अपनाए. उसके बाद वो दोषी करार दी गईं. बस क्या था इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया गया. ऐसे में बहुत लोग मानते हैं कि सत्ता जाने के डर से इंदिरा ने इमरजेंसी का ऐलान कर दिया. हालांकि इंदिरा गांधी ने ऐसा क्यों कि किया इसकी ठोस जानकारी नहीं दे पाते हैं.
लोगों ने झेले थे ये अत्याचार
आपातकाल के बाद नागरिकों के मौलिक अधिकारों को खत्म कर दिया गया. न्यायपालिका की शक्ति को सीमित कर दिया गया. हड़तालों और आंदलनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया और विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंसा गया. प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली गई. चुनाव स्थगित हो गए. इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया. प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया.
देश में कितनी बार लगा है आपातकाल
बता दें कि आजादी के बाद से अभी तक देश में कुल तीन आपातकाल लगाए जा चुके हैं. जिसमें सबसे पहला आपातकाल तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में लगा. ये आपातकाल लगने का कारण 1962 का युद्ध (भारत-चीन युद्ध) था. उसके बाद दूसरा आपातकाल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में 1971 में लगाया गया. इसके लगने का कारण भी युद्ध ही था. (भारत-पाकिस्तान युद्ध जिसके बाद बांग्लादेश बना) व तीसरा और अंतिम आपातकाल भी तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार में ही लगा. 1975 के आंतरिक अशांति (फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा घोषित) में भारत में ऐसी आपात स्थिति घोषित की गई थी.