भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच एक न्यूज चैनल द्वारा किए सर्वेक्षण से मालूम चला है कि देश भर में 88% से अधिक उत्तरदाता राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर भरोसा करते हैं. यह सर्वेक्षण ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में किया गया था. ऑपरेशन सिंदूर Operation Sindoor) पलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया एक जवाबी हमला था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था.
सर्वे के मुताबिक, कुल 14,671 उत्तरदाताओं में से 88.06% लोगों को राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों पर पीएम मोदी पर भरोसा है. सर्वेक्षण से पता चला कि इसके अलावा 11.94% उत्तरदाताओं को किसी पर भी भरोसा नहीं है. सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से एक प्रश्न पूछा गया था- “क्या आप मानते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में पीएम मोदी ने लगातार कड़ा रुख अपनाया है?” यह सर्वेक्षण दो दिनों में, 6 और 7 मई, 2025 को उन्नत मतदान सॉफ्टवेयर का उपयोग करके आयोजित किया गया था और इसे वेबसाइटों, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और टेलीविज़न चैनलों के माध्यम से क्यूआर कोड के माध्यम से सुलभ बनाया गया था.
ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम मोदी
पिछले सप्ताह पीएम मोदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत अपनी धरती पर होने वाले किसी भी आतंकवादी कृत्य का निर्णायक जवाब देगा. पीएम मोदी ने यूपी के कानपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर, जिसके तहत भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था, अभी खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, “हमने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया. हमारे सशस्त्र बलों ने इतना साहस दिखाया कि पाकिस्तानी सेना को युद्ध रोकने के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा.”
उन्होंने कहा, “मैं उन दुश्मनों से कहना चाहता हूं जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमसे रुकने की भीख मांगी थी। मूर्ख मत बनो, ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है.” पीएम मोदी ने कहा कि भारत हर आतंकवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा, तथा जवाब का समय, तरीका और शर्तें सशस्त्र बलों द्वारा तय की जाएंगी. 22 अप्रैल को, आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में नागरिकों पर गोलीबारी की, जिसमें 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से सबसे घातक हमलों में से एक में 26 लोग मारे गए.
आतंकवाद के विरुद्ध भारत का कड़ा रुख
18 सितम्बर 2016 को चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के अड्डे पर हमला किया, जिसमें 19 सैनिक मारे गए. जवाब में भारत ने 28-29 सितंबर को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर सर्जिकल स्ट्राइक की. भारतीय सेना के विशिष्ट पैरा कमांडो ने इस ऑपरेशन को सटीकता के साथ अंजाम दिया, जिससे आतंकवादियों को भारी क्षति पहुंची और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया. सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में बदलाव को चिह्नित किया, जो अधिक मुखर रुख का संकेत देता है.
भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि यह ऑपरेशन आगे की घुसपैठ को रोकने के लिए एक पूर्व-निवारक कदम था. तीन साल बाद, 14 फरवरी, 2019 को, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में किए गए आत्मघाती बम विस्फोट में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए, जिससे देश भर में आक्रोश फैल गया. जवाबी कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अंदर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के एक प्रमुख प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाकर हवाई हमला किया. बालाकोट हवाई हमला 1971 के युद्ध के बाद पहली बार हुआ था जब भारतीय लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा पार करके पाकिस्तान के अंदर लक्ष्यों को निशाना बनाया था. भारत ने इस ऑपरेशन को एक गैर-सैन्य पूर्व-आक्रमणकारी हमला करार देते हुए दावा किया कि इसमें बड़ी संख्या में आतंकवादियों का सफाया किया गया.