प्रेमानंद जी पर स्वामी रामभद्राचार्य के बयान से संत समाज में नाराजगी, सनातन धर्म के लिए बताया हानिकारक

Divya Rai
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Rambhadracharya Premanand Controversy: मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज को लेकर आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने विवादित बयान दिया था, जिसके बाद संत समाज में नाराजगी का माहौल है. उनके इस बयान के बाद कई प्रमुख संतों ने ऐतराज जताया है और इसे सनातन धर्म की एकता के लिए हानिकारक बताया है. संतों का कहना है कि ऐसी टिप्पणियां न केवल अनावश्यक विवाद को जन्म देती हैं, बल्कि समाज, खासकर युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव भी डालती हैं.

Rambhadracharya हमेशा देते हैं विवादित बयान

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती ने स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर कहा कि वह हमेशा विवादास्पद बयान देते रहते हैं, जो उनकी आदत बन गई है. उन्होंने कहा, “ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए. यदि विद्वता का पैमाना केवल श्लोक का अर्थ बताना है, तो हमारी सनातन परंपरा में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने औपचारिक शिक्षा नहीं ली, फिर भी उन्होंने स्वामी विवेकानंद जैसे शिष्य दिए.”

क्या बोले स्वामी चिदंबरानंद

स्वामी चिदंबरानंद ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की पहचान उसके कार्यों, आचरण और स्वभाव से होती है, न कि केवल शास्त्रीय ज्ञान से. उन्होंने प्रेमानंद के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वह समाज को सरल जीवन का संदेश दे रहे हैं, जिसे महत्व देना चाहिए. रामभद्राचार्य से अनुरोध है कि वह ऐसी निरर्थक टिप्पणियों से बचें.

स्वामी गोपालाचार्य महाराज ने भी रखी अपनी बात

वहीं, अखिल भारतीय संत समिति ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी गोपालाचार्य महाराज ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म हमेशा संतों के मार्गदर्शन में फला-फूला है, लेकिन जब एक संत दूसरे संत पर आक्षेप लगाता है, तो यह युवा पीढ़ी के मन में संदेह पैदा करता है. उन्होंने कहा, “युवा संतों के प्रवचनों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में बदलाव लाते हैं. यदि संतों के बीच ही विघटन दिखेगा, तो इसका युवाओं पर दुष्प्रभाव पड़ेगा.” उन्होंने सूरदास और मीराबाई जैसे संतों का उदाहरण देते हुए कहा कि कई महान संतों ने बिना औपचारिक शिक्षा के समाज का मार्गदर्शन किया. मीराबाई ने भगवान के प्रति समर्पण से सनातन धर्म को गौरवान्वित किया, फिर भी वह संस्कृत की विद्वान नहीं थीं.

आचार्य मधुसूदन महाराज ने बताया निंदनीय

वहीं (Rambhadracharya Premanand Controversy) आचार्य मधुसूदन महाराज ने कहा, “प्रेमानंद महाराज के बारे में रामभद्राचार्य महाराज की टिप्पणी कि वह विद्वान नहीं हैं, चमत्कारी नहीं हैं, और कुछ भी नहीं जानते हैं, पूरी तरह से निराधार और निंदनीय है.”

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