Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि प्राचीन काल में भारत ने अध्यात्म और व्यापार दोनों में विश्व का नेतृत्व किया था. उन्होंने कहा कि भारत को एक बार फिर ज्ञान और व्यापार का अग्रणी केंद्र बनाना सभी नागरिकों का संकल्प होना चाहिए. राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को दिल्ली में इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल EEPC के प्लेटिनम जयंती समारोह को संबोधित कर रही थीं
क्षमताओं का उपयोग करके अवसरों में बदलने की आवश्यकता
इस दौरान राष्ट्रपति ने निर्यातकों से अपील करते हुए कहा कि वे राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए कार्य करें. साथ ही वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करके अवसरों में बदलने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हितधारक होने के नाते EEPC को यह संकल्प दृढ़तापूर्वक लेना चाहिए.
भारत का इंजीनियरिंग निर्यात अधिक बढ़ना खुशी की बात
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत का इंजीनियरिंग निर्यात 70 अरब डॉलर से बढ़कर 115 अरब डॉलर से भी अधिक हो गया है. यह खुशी की बात है. उन्होंने कहा कि निर्यात में यह वृद्धि तब और भी प्रभावशाली लगती है, जब हम यह देखते हैं कि पिछले दशक के दौरान अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में कई चुनौतियां रही हैं. उन्होंने इस उपलब्धि में योगदान के लिए EEPC की सराहना की.
EEPC से निरंतर विस्तार करने का आग्रह
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि EEPC अंतरराष्ट्रीय बाजार और भारतीय उत्पादकों के बीच एक सेतु का काम करता है. उन्होंने EEPC से वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत और भारतीय उद्यमियों की भूमिका का निरंतर विस्तार करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में हो रहे बदलावों के कारण इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है.
इसे भी पढ़ें. व्हाइट हाउस से निराश होकर यूरोप ने पीएम मोदी से लगाई आस, वैश्विक शांति का निर्णायक सूत्रधार…